दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday, 31 May 2008

आरक्षण का राक्षस सब को लील जाएगा

अब खून मुंह लग गया है आरक्षण के राक्षस को. वह सड़कों पर निकल आया है. आरक्षण की अंगीठी पर वोटों की रोटी सेंकने वाले न जाने कितनों को मरवायेंगे. ख़बर है कल दो जानें और गईं. पाँच घायल अस्पताल में दाखिल हैं. यह भी ख़बर है कि एक पुलिसवाला भी मारा गया और एक गंभीर रूप से घायल अस्पताल में है. हिंसक आंदोलनों का यही परिणाम होना था. आज गुर्जर हैं, कल कोई और होगा.

क्या आरक्षण से लाभान्वित लोग आपस में मिल बैठ कर फैसले नहीं कर सकते? जो भी आरक्षण आज मिल रहा है और उस से जो भी लाभ मिल रहे हैं, उन्हें न्यायोचित आधार पर आपस में बांटा जा सकता है. इन ६० वर्षों में जिन्हें लाभ मिल चुका है वह अलग हो जाएं. इस बात को सुनिष्चित किया जाए कि हर व्यक्ति को आरक्षण का लाभ मिले. अगर लोग ईमानदारी से सोचें और फैसले करें तो धीरे-धीरे सब को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

समय से चेत जाना अच्छा होता है. अभी भी समय है. हमें लाभ मिले, सही है. पर दूसरों को भी लाभ मिले, यह भी हमें ही सुनिष्चित करना है. चेत जाइए वरना आरक्षण का यह राक्षस सब को लील जायेगा.

3 comments:

शोभा said...

आप सही कह रहे हैं। मैने भी कुछ इसी प्रकार के भाव हिन्द युग्म पर व्यक्त किए है-
आरक्षण का राक्षस
अपनी बाँहें फैला रहा है
और सारा देश विवशता से
कैद में कसमसा रहा है
यह आरक्षण की माँग है या
सुरसा का मुँह
जो निरन्तर बढ़ता ही जारहा है
कोई भी आश्वासन
काम नहीं आरहा है।
आज ये सभी के दिलों की आवाज़ है। बधाई स्वीकारें।

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह आग ऐसे न बुझेगी, जब तक जलने वाली हर चीज को न जला देगी।

Udan Tashtari said...

दुखद स्थितियाँ हैं. आपसे सही कह रहे हैं.