पिछले कई दिनों से पढ़ रहा हूँ बिनायक सेन के बारे में,
वह जेल में हैं इस संदेह पर कि वह माओवादी हैं,
कुछ समय पहले मनमोहन सिंह जी ने कहा था,
माओवाद से देश को सब से ज्यादा खतरा है,
एक बात नहीं समझ पाया मैं,
वह ऐसा आतंकवाद के बारे मैं क्यों नहीं कहते,
उनके हिसाब से उनकी सबसे बड़ी चिंता माओवाद है,
आतंकवाद उन्हें चिंतित क्यों नहीं करता?
एक व्यक्ति को माओवादी कह कर बंद कर दिया जाता है,
पर एक सजा मिल चुके आतंकवादी को सजा नहीं दी जाती,
सरकार उस की एक दामाद की तरह खातिर करती है,
चुनाव में हारे पर फ़िर भी गृहमंत्री बना दिया गए,
पाटिल जी इस आतंकवादी को बचाने में लगे हैं,
कभी मर्सी पेटीशन, कभी बना देते हैं उसे पाकिस्तानी,
करते हैं तुलना उस की सरबजीत के केस से,
क्या यह दोहरे मापदंड हमारे प्रजातंत्र पर कलंक नहीं हैं? ment
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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