पापा - 'बेटी झूठ क्या होता है?'
बेटी - 'वह जो बड़े लोग बोलते हैं'.
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पहला मित्र - 'क्या तुमने कभी झूठ बोला है?'
दूसरा मित्र - 'नहीं'
पहला मित्र - 'मैं समझ गया'.
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बेटी - 'पापा, यह लिव-इन-रिलेशनशिप क्या होती है?'
पापा - 'पता नहीं बेटा'
बेटी - 'बताओ न पापा'
पापा - कैसे बताऊँ, मुझे कोई अनुभव नहीं है'
बेटी - 'ऊँ ऊँ ऊँ'
पापा - 'रोओ मत बेटा, अपनी मामा से पूछ लो'
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Friday, 30 May 2008
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2 comments:
अच्छे चुटकले हैं। हँसाने से अच्छा कोई और काम नहीं होता इसलिए हँसाते रहिए और हँसते रहिए।
:)
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