दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Friday, 23 May 2008

आम के पेड़ पर आम नहीं बबूल उगा

बचपन में पढ़ा था कि अगर बबूल बोओगे तो आम कैसे खाओगे. अगर आम बोएँगे तब तो आम खायेंगे. पर नवादा, बिहार के टोला गाँव में उस ने आम बोया था पर उगा बबूल. यह कहानी है ७० वर्षीय कलावती देवी की.

कलावती ने एक नए जीवन की नींव रखी. नए पौधे को नौ महीने तक अपनी कोख में रख के सींचा. फ़िर उसे इस दुनिया में लाई. पाल पोस कर बड़ा किया, अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बनाया. जब शरीर अशक्त हो गया और बेटे पर पूरी तरह से आश्रित हो गई तो बेटे ने कन्नी काट ली. इस दुःख से दुखी कलावती कुछ रिश्तेदारों के सामने अपनी व्यथा कहने से न रुक पाई - उस का बेटा उसे भर पेट खाना नहीं देता; उसके पास बस एक साड़ी है जो जगह जगह से फट गई है, पर वह दूसरी साड़ी लाकर नहीं देता; वह उसे एक गुलाम की तरह रखता है.

बेटे महेंद्र को जब इस बात का पता चला तो वह गुस्से से पागल हो गया और उसने अपनी माँ को पीट-पीट कर मार डाला. वहशी बने बेटे ने अपनी जन्मदात्री माँ को इतना पीटा की उसकी एक आँख बाहर निकल आई और एक बाजू दो टुकड़ों में टूट गया. महेन्द्र और उसकी पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

बेचारी कलावती ने प्यार से आम बोया था पर उगा बबूल.

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