दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday 31 December, 2009

नए वर्ष की शुभकामनाएं

मैं लाया हूँ,
ढेर सारी शुभकामनाएं,
नए वर्ष की,
ले लो जिस को जितनी चाहिए,
सुगन्धित वायु और जल,
सुरक्षित सड़कें, रेल-वायु मार्ग,
सब को समान अवसर,
सब को समान आदर,
सब को समान न्याय,
भरत जैसा राज्य,
राम जैसी मर्यादा,
ले लो जिस को जितनी चाहिए.

ऎसी पुलिस न होना ज्यादा बेहतर है

पुलिस वालों की डाइनिंग टेबल पर,
जो पकवान परोसे जाते हैं,
जिस पैसे से पुलिस वाले ऐयाशी करते हैं,
वह पैसा उस जनता की जेब से आता है,
जिस पर वह रात दिन अत्याचार करते हैं,
रुचिका की कहानी है,
इस बेशर्म पुलिस की कहानी,
पुलिस की जरूरत है,
पर,
ऎसी पुलिस न होना ज्यादा बेहतर है.

Tuesday 29 December, 2009

जन राजनीति

जनता ने मोर्चा लगाया,
मंहगाई के खिलाफ नारा लगाया,
महंगाई ने मोर्चे में शामिल हो कर,
जनता का हौसला बढ़ाया,
शर्मा जी चकराए,
वर्मा जी के पास आये,
भैया यह क्या चक्कर है?
यह जन राजनीति है,
वर्मा जी ने समझाया,
जनता और मंहगाई,
आपस में मिल गए हैं,
जिस पार्टी ने महंगाई का मुद्दा उठाया,
जनता ने उसे हराया,
जिस सरकार ने महंगाई बढ़ाई,
जनता ने उसे जिताया.

Saturday 26 December, 2009

साझा खेल - दिल्ली बनेगी दुल्हन

दिल्ली नगर निगम,
दिल्ली सरकार,
कर रहे हैं अत्याचार,
गरीब बेघर आम आदमियों पर,
नाईट शेल्टर तोड़ कर,
सैंकड़ों लोगों को जमा दिया सर्दी में,
मचा दिया हाहाकार,
गरीबों की जिंदगी में,
औरतें, बच्चे, बूढ़े,
कहाँ जाएँ कंपकंपाती सर्दी में,
कहीं भी जाएँ, हमसे मतलब?
हमने सजाना है, सवांरना है,
दिल्ली को दुल्हन बनाना है,
साझा खेल होंगे,
हमारे पुराने राजा जी आयेंगे,
क्या उन्हें अच्छा लगेगा यह नाईट शेल्टर,
बदनामी न हो जायेगी हमारी?
क्या बचाने को देश को, दिल्ली को,
इस बदनामी से, राष्ट्रीय शर्म से,
हटा नहीं सकते, भगा नहीं सकते,
इन भुखमंगे, अधनंगों को?
जय मनमोहन,
जय सोनिया,
जय साझा खेल.

Tuesday 22 December, 2009

चालीस साल पहले

चालीस साल पहले,
जिंदगी बहुत आसान थी,
हमने ३२५ बेसिक पर शुरू की थी,
केंद्र सरकार में नौकरी,
तीन कमरों का मकान था,
सब कुछ बहुत सस्ता था,
आना-जाना, खाना-पीना,
मन में कोई तनाव नहीं,
जिंदगी जीते थे तब.

फिर देश ने तरक्की की,
जिंदगी मुश्किल होने लगी,
अब देश बहुत तरक्की कर गया है,
जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है,
तब की सारे वर्ष की आय,
मकान का किराया नहीं पूरा कर पाती,
बच्चे को स्कूल नहीं भेज पाती,
हर चीज महंगी है,
आना-जाना, खाना-पीना,
मन में तनाव-ही-तनाव है,
वाह री तरक्की,
अब तो जिंदगीबस बीत रही है,
सब कुछ आगे बढ़ गया है,
जिंदगी पीछे रह गई है.

Saturday 5 December, 2009

रावण और राम राज्य

वह एक मंजे हुए राजनीतिबाज हैं,
भाषण देना उन की आदत है,
एक सभा में भाषण दे दिया,
देश में राम राज्य लायेंगे.

कल एक जवान लड़के की मौत हो गई,
शमशान भूमि में उस के पिता को रोते देखा,
अचानक नेताजी का भाषण याद आया,
देश में राम राज्य लायेंगे,
यह कैसा राम राज्य होगा?
राम राज्य में पहले पिता जाता था,
यहाँ बेटा चला गया.

रावण के वंशज हैं यह नेता सारे,
जिसने पहले सब बेटों को भेजा,
फिर खुद गया.