दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday 18 October, 2009

दीवाली बाद की पहली सुबह

दीवाली आई, दीवाली गई,
कुछ बदला क्या?
नहीं, कुछ नहीं बदला,
फिर कर दी बेकार,
एक और दीवाली.

खूब पटाखे बजाये,
खूब शोर मचाया,
पर जगे नहीं, सोते रहे,
प्रगाढ़ निद्रा में,
झूट, चोरी, बेईमानी,
नफरत, हिंसा, अन्याय की.

खूब दिए जलाए,
मोमबत्तियां जलाईं,
विजली की रंग-बिरंगी,
झालरें जलाईं,
पर मिटा नहीं अँधेरा,
मन, कर्म, वचन का.

Friday 16 October, 2009

आई दीवाली, आई दीवाली

आई दीवाली, आई दीवाली,
खुशियाँ लेकर आई दीवाली.

चाची ने घर खूब सजाया,
मम्मी ने भी हाथ बटाया,
मैंने और सिया ने मिल कर,
उनकी हिम्मत खूब बढ़ाई.
आई दीवाली, आई दीवाली,
धन धान्य ले आई दीवाली.

चाचा लाये अनार, फुलझडी,
पापा लाये बिस्कुट मेवे,
दादी लाई मिठाई बताशे,
खील, खिलोने, दीया-बाती,
आई दीवाली, आई दीवाली,
मुहं मीठा कर आई दीवाली.

जय लक्ष्मी माता की जय हो,
जय गणपति वापा की जय हो,
जय सरस्वती माता की जय हो,
जय हो, जय हो, सब की जय हो.
आई दीवाली, आई दीवाली,
रंग-बिरंगी आई दीवाली.

Saturday 3 October, 2009

आराम हलाल है

एक मंत्री ने ट्विटर पर ट्वीट किया,
बापू के जन्मदिन पर सब काम करें,
पढ़ कर अच्छा लगा,
कोई है तो है काम करने वाला,
यह और बात है कि कुछ दिन पहले,
यही मंत्री जी शिकायत कर रहे थे,
काम बहुत ज्यादा है दफ्तर में.

बापू ने कहा कर्म पूजा है,
बापू ने तो सिर्फ दोहराया था,
अर्जुन को कुरुशेत्र में,
कृष्ण ने यही समझाया था,
पर आज़ाद भारत में,
बहाने ढूँढ़ते हैं सब काम से बचने के,
सरस्वती पूजा पर न पढेंगे, न लिखेंगे,
विश्वकर्मा पूजा पर मशीनें बंद रखेंगे,
आजादी क्या आई सोच उलट गया,
आराम हराम से हलाल हो गया.

Friday 2 October, 2009

कब तक कुप्रयोग करोगे बापू के नाम का?

बापू का नाम भुनाया तुमने,
आज़ादी से पहले,
आज़ादी के बाद,
अपनी निजी स्वार्थसिद्धि के लिए,
सिर्फ नाम ही भुनाया,
बापू का कोई गुण नहीं अपनाया,
आज भी लगे हो,
बापू का नाम भुनाने में,
करोडों रुपये के विज्ञापन,
अपनी तस्वीरों के साथ,
जरा नहीं शरमाये शामिल करने में,
अपने भ्रष्ट आचार में बापू का नाम,
भ्रष्टाचार में डूबी नरेगा योजना को,
देने चले हो बापू का नाम.