हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Sunday 19 July, 2009
बलात्कार एक दलित महिला का
Friday 3 July, 2009
कचरादान
कचरा ही कचरा हर तरफ़,
घर मे कचरा, घर के बाहर कचरा,
सड़क पर कचरा, पार्क मे कचरा,
मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च,
सब जगह कचरा ही कचरा,
दिमाग मे कचरा, जुबान पर कचरा,
जो काम किया वह भी कचरा,
मानवीय सम्बन्ध हो गये कचरा,
बेटे ने माँ बाप का किया कचरा,
पत्नी ने पति का, पति ने पत्नी का,
प्रेमी के साथ मिल कर किया कचरा,
बेटी को बाप से खतरा,
बहन को भाई से खतरा,
पवित्र प्यार का कर दिया कचरा,
गुरु-शिश्य का सम्बन्ध हुआ कचरा,
सरकार कचरा, सरकारी बाबू कचरा,
वकील कचरा, जज कचरा,
पुलिस ओर अदालत कचरा।
एक कहानी पढी थी ''थूकदान',
सड़क पर चलता हर आदमी,
लेखक को दिखता था थूकदान,
आदमी बात करे आपस मे,
लेखक को दिखाई दे,
थूक रहे हे एक दूसरे मे,
कहानी वही हे, बस नाम बदला हे,
मेरी रचना का नाम है 'कचरादान'।