दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Monday 28 September, 2009

क्या इस बार भी सिर्फ रावण ही जलेगा?

हर साल जलाते हो तुम रावण को,
क्या इस बार भी सिर्फ रावण ही जलेगा?
रावण से जुड़ी बुराई कब जलेगी?
कभी सोचा है तुमने?
तुम राम की पूजा करते हो,
पर करते हो प्रतिनिधित्व रावण का,
राम का कोई आदर्श नहीं अपनाया,
रावण की हर बुराई अपना ली,
किसे धोखा देते हो जला कर रावण?
खुद को, रावण को, राम को?
क्यों नहीं जला देते उस नफरत को?
जो तुम्हें इंसानियत का दुश्मन बनाती है,
जो तुम्हें राम से दूर ले जाती है.

Saturday 26 September, 2009

चाँद खतरे में है

कल टीवी पर खबर देखी,
चाँद पर पानी मिला है,
देखते देखते सो गया,
आँख खुली तो देखा,
चाँद पर मीटिंग चल रही है,
बहुत चितित हैं चाँद वाले,
अब क्या होगा?
इंसान ने पहले धरती खराब की,
अब चाँद को खराब करेगा,
चाँद पर पहले से गड्ढे हैं,
पर इंसान आकर सड़क बनाएगा,
फिर उसमें गड्ढे करेगा,
चाँद पर साफ़ पानी है,
पर इंसान पहले उसे गन्दा करेगा,
फिर साफ़ करने के यंत्र लगायेगा,
ठीक करने के नाम पर,
सब गड़बड़ कर देगा,
छुपा लो पानी,
बचा लो चाँद को,
वर्ना पानी के चक्कर में इंसान,
चाँद को धरती बना देगा.

Wednesday 23 September, 2009

कब तमीज सीखोगे तुम?

अरे ओ दिल्ली वालों,
कब तमीज सीखोगे तुम?
शीला दीक्षित, तेजिंदर खन्ना,
और अब पी चिदंबरम,
सबका मन दुखता हे,
तुम्हारे असभ्य व्यवहार से,
पर तुम निकाल देते हो,
इस कान से सुन कर उस कान से,
कब बदलोगे अपना असभ्य सोच?

कामनवेल्थ खेलों में,
आयेंगे बड़े-बड़े मेहमान,
जिनके थे तुम गुलाम,
जिनके लिए बना रही हैं शीला जी,
सात सितारा मूत्रालय,
क्या सोचेंगे वह?
जब देखेंगे तुम्हारा असभ्य व्यवहार,
कितनी शर्म आयेगी,
सरकार को, सोनिया जी को,
पर तुम नहीं सुधरोगे,
बदतमीज कहीं के.

मैं लिख रहा था जब यह अकविता,
मेरी पोती ने पूछा,
बाबा क्यों करते हैं हम आयोजित यह खेल?
कौन सी है यह कामनवेल्थ?
कहाँ हे यह वेल्थ?
किस किस में कामन हे यह वेल्थ?
पता नहीं बेटी,
शायद मालूम हो देश के तहजीबदारों को,
उसने कहा, 'अब तो हम आजाद हैं',
मैंने कहा, 'कहते तो यही हैं,
पर शायद हैं नहीं'.

Sunday 20 September, 2009

आओ मजाक करें

मनमोहन जी ने कहा,
जो थरूर ने कहा,
मजाक में कहा.
शर्मा जी को अच्छा नहीं लगा,
वर्मा जी ने समझाया,
क्या गलत कहा?
बाबू और राजनीतिबाज,
मजाक ही तो करते हैं जनता से,
साठ साल हो गए यह मजाक होते,
पर आप अभी भी नहीं समझ पाए.
थरूर पहले बाबू थे,
अब राजनीतिबाज हो गए हैं,
सो मजाक कर रहे हैं जनता से,
यही हाल मनमोहन जी का है,
मजाक को समझा करो,
क्या हर समय बुरा मान जाते हो?
शर्मा जी बोले,
ठीक है भाई,
अब तुम भी मजाक कर लो.
देखें कितने दिन चलता है यह तमाशा,
खर्चा बचाने का,
और एक बात बताऊँ?
कल काली भेंस गोरी गाय से कह रही थी,
अब बर्दाश्त नहीं होतीं,
इंसान की यह हरकतें,
खुद को हमसे मिलाते हैं,
थरूर और मनमोहन
कभी मिल गए तो,
ऐसा सींग मारूंगी,
सब मजाक भूल जायेंगे.

Friday 11 September, 2009

मीठा-मीठा मैं, कड़वा-कड़वा तू


रोज सुबह दिल्ली के अखवारों में,
छपते हैं अनेक विज्ञापन,
सरकार का हर अच्छा काम,
दर्शाते हैं यह विज्ञापन,
और छपती है इन विज्ञापनों में,
मुख्य मंत्री की तस्वीर.

अखवार में निकला एक समाचार,
सरकार के एक स्कूल में,
भगदड़ मच गई,
पांच लड़कियां मर गईं,
चौतीस घायल हो गईं,
छह गंभीर रूप से,
कारण अवव्यवस्था, कुप्रशासन,
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना,
मतलब सरकार की गलती,
भुगती बच्चों ने.

नहीं छपा कोई विज्ञापन,
सरकार के इस बुरे काम पर,
मुख्य मंत्री की तस्वीर के साथ,
मात्र उन्होंने दुःख प्रकट किया,
और ज्यादा महान हो गईं.

और महान हो जायेंगी,
अगर जांच कराई तो,
बाबुओं को हो जायेगी सजा,
जनता को दिखाने को,
मीठा-मीठा मैं, कड़वा-कड़वा तू .