हर साल जलाते हो तुम रावण को,
क्या इस बार भी सिर्फ रावण ही जलेगा?
रावण से जुड़ी बुराई कब जलेगी?
कभी सोचा है तुमने?
तुम राम की पूजा करते हो,
पर करते हो प्रतिनिधित्व रावण का,
राम का कोई आदर्श नहीं अपनाया,
रावण की हर बुराई अपना ली,
किसे धोखा देते हो जला कर रावण?
खुद को, रावण को, राम को?
क्यों नहीं जला देते उस नफरत को?
जो तुम्हें इंसानियत का दुश्मन बनाती है,
जो तुम्हें राम से दूर ले जाती है.
1 comment:
बहुत सुंदर कविता, राम का गुण अपनाया नही रावण...
धन्यवाद
आप को ओर आप के परिवार को विजयादशमी की शुभकामनांए.
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