दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday 25 April, 2009

शन्नो हमें माफ़ कर देना

हम तुम्हारे अपराधी हैं शन्नो,
पर हम क्या करें?
एक बड़े परिवार की बिटिया बीच में आ गई,
और हमारा बिगड़ा सोच और ज्यादा गड़बड़ा गया,
मैं मंत्री हूँ कोई कृष्ण नहीं,
जो पहुँच जाऊं विदुर के यहाँ,
तुम्हारे स्कूल के साथी अंग्रेजी नहीं बोलते,
स्कूल के दरवाजे पर मोमबत्ती नहीं जलाते,
अब कैसे जाये मीडिया तुम्हारे घर?
पुलिस को हमने सफारी दी है,
इतनी महंगी कार कैसे जायेगी?
तुम्हारे घर की टूटी-फूटी सड़क पर,
डाक्टरी रिपोर्ट अब आर्डर पर बनती है,
कैसे लिखें तुम्हारी मौत कैसे हुई?
अब इस आधार पर ही तो दे पायेगा,
शिक्षा विभाग क्लीन चिट टीचर को,
अब क्या-क्या सफाई दें तुमको,
शन्नो बस तुम हमें माफ़ करदो,
हाँ एक सलाह देनी है तुमको,
अगले जन्म में बड़े घर में जन्म लेना.

Wednesday 22 April, 2009

भद्रपुरुष बिकाऊ हैं

वर्ष २००८,
आस्ट्रेलिया में मास्टर ब्लास्टर,
बजी घंटी फोन की,
बोले मुम्बई इंडियंस के मालिक,
किन्हें रखना चाहेंगे अपनी टीम में?
सचिन ने अभी सोचा नहीं था इस पर,
पर तुरत एक नाम  आया दिमाग में,
सनत जयसूर्या,
तुरत खरीद लो उसे ,
और खरीद लिया मुकेश ने,
भद्रपुरुषों का खेल,
अब भद्रपुरुषों का नहीं रहा,
भद्र तो क्या पुरुषों का भी नहीं रहा,
जो बिके वह कैसा पुरुष?