पुलिस वालों की डाइनिंग टेबल पर,जो पकवान परोसे जाते हैं,
जिस पैसे से पुलिस वाले ऐयाशी करते हैं,
वह पैसा उस जनता की जेब से आता है,
जिस पर वह रात दिन अत्याचार करते हैं,
रुचिका की कहानी है,
इस बेशर्म पुलिस की कहानी,
पुलिस की जरूरत है,
पर,
ऎसी पुलिस न होना ज्यादा बेहतर है.
3 comments:
Principal Organisation of Legislatively Incorporation Criminal Elements - बकौल खुद.
जब तक पुलिस राजनेता और अफसरो की जी हजूरी करती रहेगी.उन के दबाव मे रहेगी....उस से कोई उम्मीद करनी बेकार है।
आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
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