दिल्ली सरकार,
कर रहे हैं अत्याचार,
गरीब बेघर आम आदमियों पर,
नाईट शेल्टर तोड़ कर,
सैंकड़ों लोगों को जमा दिया सर्दी में,
मचा दिया हाहाकार,
गरीबों की जिंदगी में,
औरतें, बच्चे, बूढ़े,
कहाँ जाएँ कंपकंपाती सर्दी में,
कहीं भी जाएँ, हमसे मतलब?
हमने सजाना है, सवांरना है,
दिल्ली को दुल्हन बनाना है,
साझा खेल होंगे,
हमारे पुराने राजा जी आयेंगे,
क्या उन्हें अच्छा लगेगा यह नाईट शेल्टर,
बदनामी न हो जायेगी हमारी?
क्या बचाने को देश को, दिल्ली को,
इस बदनामी से, राष्ट्रीय शर्म से,
हटा नहीं सकते, भगा नहीं सकते,
इन भुखमंगे, अधनंगों को?
जय मनमोहन,
जय सोनिया,
जय साझा खेल.
जय सोनिया,
जय साझा खेल.
4 comments:
Jay ho.
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क्या आपने लोहे को तैरते देखा है?
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?
जय हो
बहुत अच्छा कहा. जय सोनिया, मनमोहन. दिल्ली वालों का क्या. पुराने राजा को जो दिखाना है.
http://www.dafaa512.blogspot.com/
गरीबों की सरकार है इसीलिये कुछ गरीबों को भी हटा नहीं सकती क्या?
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