मैं सुबह घूमने जाता हूँ. यह तरबूज वाला रास्ते में पड़ता है. वह नारियल भी बेचता है. मेरी उसकी जान पहचान नारियल की बजह से हुई. एक नारियल का मीठा पानी मन को ताजा कर देता है. इस पानी में मिलावट भी नहीं की जा सकती. ऐसा कह कर में मिलावट करने वाले कलाकारों को चेलेंज नहीं कर रहा हूँ. में जानता हूँ कि जिस दिन उनकी नजर नारियल पानी पर पड़ गई, यह पानी भी पीने लायक नहीं रहेगा. भारतीय मिलावटखोरों का मुकाबला कोई नहीं कर सकता. जब तक यह पानी बिना मिलावट के मिल रहा है पी लिया जाए.
हाँ तो में कहकर रहा था कि यह तरबूज वाला बरेली से आया है. मैंने पूछा कि इतनी दूर कैसे आए. उसने फिलासफी झाड़ दी. जनाब यह रोटी का मामला है. रोटी गोल होती है. इस गोल रोटी का जुगाड़ करने के चक्कर में आदमी सारी जिंदगी गोल-गोल घूमता रहता है. कुछ लोग अपने घर-गाँव में ही रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं, और कुछ को दूसरी जगहों पड़ जाना पड़ता है. यह गोल रोटी नहीं मिली तो आदमी इस दुनिया से ही गोल जायेगा. बात में उसकी सच्चाई थी इस लिए मेने सर हिला दिया. बैसे आज कल चौकोर रोटी का काफ़ी चलन हो गया है. पर डबल रोटी को बीच में ला कर मेने उसकी गोल रोटी के महत्त्व को कम करना उचित नहीं समझा.
दिन में यह तरबूज वाले दूकान सजाते हैं.
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