लोग ब्लाग बनाते हैं, उन पर अपने लेख पोस्ट करते हैं. कोशिश करते हैं कि लोग उन के ब्लाग्स पर आयें. इस के लिए वह चिट्ठाजगत, ब्लाग्वानी , नारद पर अपने ब्लाग्स रजिस्टर करते हैं. वह चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके लेख पढ़ें और अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें. लोग ऐसा करते भी हैं. वह आपके ब्लाग्स पर आते हैं. आपके लेखों की सराहना करते हैं. आपके द्वारा उठाये गए मुद्दों पर अपने विचार पोस्ट करते हैं. पर क्या आप लोग इन टिप्पणिओं का जवाब देते हैं? क्या आप उन के ब्लाग्स पर जाते हैं और अपनी टिप्पणी पोस्ट करते हैं?
ब्लाग लेखन को युक्तिपूर्ण और सकारात्मक बनाने के लिए यह जरूरी है कि चिट्ठाकार एक दूसरे के ब्लाग्स पर खूब आयें जायें. ज्यादा से ज्यादा ब्लाग्स पर टिप्पणी करें. दूसरे चिट्ठाकारों का उत्साह वर्धन करें. मुद्दों पर बहस होना जरूरी है. मुद्दों के बीच में व्यक्ति को न लायें. इस से मुख्य मुद्दा पीछे चला जाता है और अनावश्यक टिप्पणियां पोस्ट होनी शुरू हो जाती है. कुछ चिट्ठाकार व्यक्तिगत टिप्पणियां भी करना शुरू कर देते है. इस से बहस की समरसता नष्ट हो जाती है और बिभिन्न विचारों का आदान प्रदान रुक जाता है. ब्लाग्स ज्ञान और जानकारी को बांटने का एक सशक्त माध्यम हैं. हमे इस का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए.
मेरी कोशिश यह रहती है कि मैं अपने ब्लाग्स पर टिप्पणियां करने वालों के ब्लाग्स पर जाऊं और उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों पर अपने विचार रखूँ. मैं अक्सर चिट्ठाजगत, ब्लाग्वानी , नारद पर भी जाता हूँ और कोशिश करता हूँ कि ज्यादा से ज्यादा ब्लाग्स पर जाऊं. मेरा यह मानना है कि जो चिट्ठाकार मेरे ब्लाग्स पर आते हैं और अपनी टिप्पणियां पोस्ट करते हैं उन का आभार प्रकट करना मेरा कर्तव्य है. आभार प्रकट करने का सब से अच्छा तरीका है, उन के ब्लाग्स पर जाना और उन के द्वारा उठाये गए मुद्दों पर अपने विचार पोस्ट करना.
वन्धू चिट्ठाकारों, स्वागत हे आपका इस विषय पर अपने विचार प्रकट करने के लिए.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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3 comments:
देखो भाई जी,
आपके लेख का एक एक शब्द सत्य है,
लेकिन जैसा कि हिंदी वालों की अपनी
संस्कृति है, यह अपने गुट में जीना एवं
एक दूसरे की पीठ थपथपाना ही पसंद
करते हैं । कटु सत्य यही है ।
बाकी हिंदी की सेवा व हिंदी ब्लागिंग को
आगे बढ़ाने की अपील में चंद लोग ही कुछ
ईमानदार हैं ।
सही कह रहे हैं.प्रोत्साहन की आवश्यक्ता तो सभी को है.
सही कह रहें हैं आप मैं तो जुट गया हूँ आप की बात को अमल में लाने के लिए।
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