पिछले सप्ताह मैंने एक टी वी चैनल पर एक दिल दहला देने वाला मंजर देखा था. सी आर पी ऍफ़ के आठ दस जवान कुछ बच्चों को बुरी तरह पीट रहे थे. वह बच्चों को गर्दन पकड़ कर घसीटते थे, डंडों से मारते थे और बीच बीच में अपने जूतों से उनके गुप्तांग पर प्रहार करते थे. यह घटना कश्मीर में श्री नगर की थी. यह बहादुर जवान आतंकवादिओं से एक मुट्भेढ़ के बाद वापस अपने केम्प मैं लौट रहे थे. रास्ते में इन्होने इन बच्चों को एक मैदान में क्रिकेट खेलते देखा. इनकी वीरता जाग उठी. और वह टूट पड़े इन मासूम बच्चों पर.
मैं हक्का-बक्का यह हैवानियत का नंगा नाच देख रहा था. मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ. पर यदि में उस समय घटनास्थल पर होता तो शायद हिंसक हो उठता और इन वहशी दरिंदों को उनके अत्याचार की सजा देता. टीवी चैनल पर एनौंसर चीख रहा था - वर्दी में गुंडे, यह इंसान हैं या हैवान, इस तरह बनाते हैं यह हैवान आतंकवादी, सजा दो इन को. उसने सी आर पी ऍफ़ के जन सम्पर्क अधिकारी से भी बात की. यह अधिकारी किसी तरह इस हैवानियत को सही ठहराने की कोशिश करता रहा.
मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने इस ख़बर को किसी अखबार में नहीं देखा. क्या किसी ने इसे देखा था?
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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5 comments:
आप ठीक कहते हैं। आतंकवादी कोई पैदा नहीं होता उसे तो बनाया जाता है। हालात इस तरह के पैदा कर दिये जाते हैं ताकि वह उनके हाथों मजबूर हो जाये और उठा ले बंदूक। ऐसा अधिकतर होता है। कम ही मामले होते हैं जिनमें आतंकवादी जानबूझकर बनते हैं।
आप ने लिखा है कि अखबार में किसी ने इस खबर को छापा नहीं। शायद इसे कई समाचार चैनलों में भी न दिखाया हो। यहां सब धन कमाने का खेल है और फायदे की सोच। उन्हें लगा होगा कि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं, सो नहीं छापा और न ही दिखाया।
हरमिन्दर सिंह द्वारा
सुरेश जी आपके आशीर्वाद से हमने वृद्धों के लिये पहला ब्लाग (वृद्धग्राम) जारी कर दिया है। पहली ही पोस्ट पर हमें इस कार्य के लिये काफी सराहना मिली। आप का इस नये ब्लाग पर स्वागत है। आपके विचार और सहयोग के हम आभारी रहेंगे।
blog url:
http://100year.blogspot.com/2008/05/blog-post.html
वर्दी वाले सरकारी गुंडों के बारे में मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी, जहाँ इन हरामखोर मुस्तंडों का कच्चा चिट्ठा है:
http://limestone0km.blogspot.com/2008/05/blog-post_05.html
हरमिन्दर सिंह जी, बहत अच्छा लगा आपने यह ब्लाग प्रारम्भ किया. वृद्धों का अनुभव अगर नौजवानों की राह बने तो परिवार मजबूत होंगे, समाज सशक्त बनेगा, उसमें समरसता आएगी. भारतीय समाज परिवार पर आधारित है. परिवार टूट रहे हैं इस से समाज में टूटन आ रही है. यदि वृद्धों को सम्मान मिलेगा तो सब का भला होगा. एक बार फ़िर वधाई और शुभकामनाएं.
विचार, बहुत सही बात कही है आपने. जब सी आर पी ऍफ़ के जवान बच्चों को बेरहमी से मार रहे थे एक यही ख्याल दिल में आ रहा था कि यह इंसान हैं या दरिंदे. उसके कुछ दिन बाद ही आतंकवादियों ने हमला किया और कितने निर्दोष नागरिक मारे गए, जिनमें एक पत्रकार भी शामिल थे. कल अगर यह बच्चे आतंकवादी बनते हैं तो कौन जिम्मेदार होगा इस का? कौन कसेगा लगाम इन बर्दी वाले दरिंदों की जो अक्सर बेलगाम हो जाते हैं?
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