love at first sightएक फ़िल्म आई थी, 'चमेली की शादी'. हीरो था ब्रम्हचारी, अखाड़े में कुश्ती लड़ता था. गुरु जी ने कहा था, चालीस का होने से पहले नारी के चक्कर में पड़ना तो दूर उसके बारे में सोचना भी मत. हीरोइन के पिता की कोयले की टाल थी. एक असली व्यापारी के नाते धंदे में कुछ न कुछ गड़बड़ करना तो जरूरी था. हीरो टाल के मालिक कल्लूमल जी से इस बारे में बात करने गया. वह कल्लूमल जी को आवाज दे रहा था कि उसे मेज के नीचे से एक हाथ ऊपर उठता दिखाई दिया. उसने कहा, 'क्या कल्लू मल जी डर के मारे हाथ में चूड़ियां पहन लीं?' उसने हाथ पकड़ कर ऊपर खींचा. हाथ के साथ एक लड़की ऊपर उठ आई.
लड़के और लड़की ने एक दूसरी की आंखों में झाँका और प्रथम दृष्टि में प्रेम हो गया. हीरो को चक्कर आया और नीचे गिर गया. लड़की ने उसे पकड़ कर ऊपर उठाया. उसके बाद पहले प्यार की पहली बात शुरू हुई.
लड़की - तू ......... का छोटा भाई है न?
लड़का - हां, और तू कल्लूमल की बेटी चमेली है न?
लड़की ने सर हिलाया.
लड़का - मैंने हायर सेकंडरी किया है.
लड़की - पता है, थर्ड डिवीजन में.
लड़का - फेल तो नहीं हुआ.
लड़की - में फेल हुई तो तुझे क्या?
लड़का - में भी एक बार आठवीं में फेल हुआ था.
लड़की - में आठवीं में चार बार फेल हुई थी.
लड़का - अब किस क्लास में है?
लड़की - आठवीं में.
कैसी लगी आपको यह प्रथम दृष्टि में प्रेम की प्रथम बातचीत? फ़िल्म के आख़िर में सब के विरोध के बाबजूद दोनों की शादी हो जाती है. क्या हकीकत में भी होता है प्रथम दृष्टि में प्रेम? क्या आपको हुआ था प्रथम दृष्टि में प्रेम?
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Wednesday, 21 May 2008
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1 comment:
wo bhajandas ka bhai charandas tha..
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