दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday, 15 May 2008

सिखायेंगे सबक हिन्दू इंडिया को!

कातिल एक बार फ़िर टूटे कहर बन कर निर्दोष इंसानों पर,
कहा हम सिखायेंगे सबक हिन्दू इंडिया को,
मुझे इंडिया में रहते ६० से ज्यादा साल हो गए,
पर मैं नहीं जानता किसी हिन्दू इंडिया को,
क्या आप जानते हैं?
मुझे यकीन है आप भी नहीं जानते,
आप क्या कोई नहीं जानता,
क्योंकि कोई हिंदू इंडिया है ही नहीं.

जिस इंडिया को सबक सिखाया इन कातिलों ने,
वह तो है इंडिया, हिन्दुओं का, मुसलमानों का,
सिख, इसाई, पारसी, जैन, बौद्धों का,
और क्या सबक सिखाया इन कातिलों ने?
ख़ुद कहाँ सीखा है उन्होंने वह सबक?
किसने सिखाया है उन्हें वह सबक?

अगर यह कातिल वाशिंदे हैं इंडिया के,
तब की है उन्होंने गद्दारी उस ज़मीन से,
जिसने दी उन्हें दो वक्त की रोटी,
उस हवा से, उस पानी से,
जिसने दी उन्हें जिंदगी.

अगर आए हैं वह पड़ोसी मुल्क से!
तो क्या जन्नत जीत ली उन्होंने?
क्या मिल गई उन्हें हूरें?
नहीं उन्हें कुछ नहीं मिला,
न जन्नत, न हूरें,
क़यामत के दिन होगा उनका हिसाब,
सीधा और सच्चा, खुदा का न्याय,
फैंक दिए जायेंगे सब जहन्नुम में,
क्योंकि यह कातिल हैं शैतान के बन्दे,
कर रहे हैं गुनाह खुदा के नाम पर,
मार कर खुदा के बंदों को.

खुदा न हिन्दू है, न मुसलमान,
खुदा तो मोहब्बत का सागर है,
सबके दिलों में बैठा है खुदा,
बाँट रहा है मोहब्बत,
मोहब्बत है ब्रांड खुदा का,
नफरत है ब्रांड शैतानियत का,
इंडिया ने चुना है मोहब्बत का ब्रांड,
यह कातिल क्या सिखायेंगे सबक इंडिया को,
नफरत की आग में ख़ुद जल जायेंगे.

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