दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Monday 26 May, 2008

लालू जी और मेरी जेब

मैं जब भी लालू जी की तस्वीर देखता हूँ या उनका नाम पढ़ता या सुनता हूँ, मेरा हाथ तुरंत मेरी जेब पर चला जाता है. मुझे हर समय यही डर लगा रहता है कि लालू जी रेल को फायदे में लाने के लिए मेरी जेब काट लेंगे. वह तो जगह जगह हार पहनते घूम रहे हैं और मेरी जेब हल्की और हल्की होती जा रही है.


पहले में जब भी दिल्ली से आगरा या चंडीगढ़ जाता था, दिल्ली में ही जाने के और वापसी के टिकट खरीदता था. पर जब से लालू जी की मेहरबानी हुई वापसी के टिकट में १५ रुपए ज्यादा लगने लगे. रेंगती रेलों को सुपर फास्ट कह कर यात्रिओं की जेब हल्की करना पता नहीं कौन से मेनेजमेंट का मन्त्र है? तत्काल के नाम पर यात्रिओं की जम कर जेब काटी जा रही है. सुरक्षा और समय की पाबन्दी के नाम पर लालू जी और लालू जी की रेल जीरो हैं. रेल कब आएगी और कब जायगी, यह आ जाने और पहुँच जाने के बाद ही पता लगता है. यात्री सुरक्षित पहुँच जायेंगे इनके बारे में भी पहले से कुछ नहीं कहा जा सकता.
रेल सेवाएं सरकार उपलब्द्ध कराती है. एक सरकारी महकमा होने के नाते रेल विभाग का मुख्य उद्देश्य एक बहुत अच्छे स्तर की सेवा प्रदान करना होना चाहिए, प्रोफिट कमाना नहीं होना चाहिए. रेलों को नो-प्रोफिट-नो-लोस के सिद्धांत पर चलाना चाहिए. पर लालू जी की रेल केवल फायदा कमाने के लिए चलती है. यात्रिओं को एक समय-बद्ध, सुरक्षित, आरामदायक सेवा मिले इस से लालू जी को कोई मतलब नहीं है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक पेनल बनाईं जिसको रेल प्लेटफार्म्स पर सप्लाई किए जा रहे खाद्य पदार्थों की क्वालिटी की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा गया. तीन रेल स्टेशन, पुरानी और नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन इस जांच के लिए चुने गये. जांच के बाद एक पेनल सदस्य ने कहा कि आज के बाद में रेल द्वारा सप्लाई की गई कोई बस्तु न तो खा सकूंगा और न ही पी सकूंगा. किचिंस में चूहों और क्राक्रोचों कि भरमार थी. कोई भी सिस्टम नहीं था न कच्चा माल खरीदने और स्टोर करने का, खाना बनने का या सर्व करने का. कर्मचारिओं का कोई मेडिकल चेक अप नहीं होता था. ले दे कर जांच रिपोर्ट बहुत ही गड़बड़ थी. एक दिन इस के बारे में अखबार में ख़बर आई और तुरंत ही गायब हो गई. मीडिया ऐसे मौकों पर सरकार की बहुत मदद करता है. कोका कोला पर शोर मचाने वाले लालू जी के खाद्द्य और पेय पदार्थों के बारे में चुप रहे.

आई आर सी टी सी भारतीय रेलों में खाद्द्य और पेय पदार्थों की सप्लाई के लिए ठेके देता है. एक बार में कालका शताब्दी में सफर कर रहा था. जो खाना सर्व किया गया बहुत ही ख़राब था - ठंडा और बेजायका. पता नहीं ग़लत है या सच है - एक सज्जन ने मुझे बताया कि एक शताब्दी या राजधानी एक्सप्रेस में यह ठेका एक करोड़ की रिश्वत देने पर मिलता है. देहरादून और कालका शताब्दी का मेरा अनुभव मुझे इसे सच मानने को मजबूर करता है. दो बार मैंने शिकायत की पर कोई कार्यवाही नहीं की गई.

लालू जी की एक और देन है रेल यात्रियों को. अब यात्रियों की शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. मैंने ताज एक्सप्रेस में तीन बार टीटी द्वारा सप्लाई की गई शिकायत पुस्तिका में शिकायत लिखी पर कुछ नहीं हुआ. देहरादून शताब्दी, कालका शताब्दी, लखनऊ शताब्दी और श्रमजीवी एक्सप्रेस में लिखी शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

अभी पिछले दिनों मैंने हावड़ा-एहमदाबाद एक्सप्रेस में यात्रा की. तत्काल में टिकट ख़रीदा. मुझे झरसागुडा तक जाना था पर एहमदाबाद तक टिकट खरीदना पड़ा. बहत तगड़ी जेब कटी. वापसी आजाद हिंद एक्सप्रेस से हुई. इसमें भी तत्काल से टिकट लिया. पर इस बार एहमदाबाद से नहीं, राजनांदगांव से किराया भरना पड़ा. यहाँ भी जेब कटी.

अब बात करें इन सुपरफास्ट एक्सप्रेस रेलों की समय पाबन्दी की. हावड़ा से रेल ११५५ पर छूटती है. पर उस रात यह रेल १२३० के बाद प्लेटफार्म पर आई. बहुत गर्मी थी उस रात. हालत ख़राब हो गई. करीब दो घंटा देर से झरसागुडा पहुँची. जिस मीटिंग के लिए मैं गया था वह दो घंटा देर से शुरू हो पाई. लालू जी के कारण लगभग ३५ लोगों को परेशानी हुई. वापसी में आजाद हिंद एक्सप्रेस दो घंटा लेट आई और हावड़ा पहुँचते पहुँचते चार घंटे से ज्यादा लेट हो गई. ०३५५ की जगह यह ०८३० के बाद हावड़ा पहुँची. मेरी दिल्ली की फ्लाईट ०८२० पर थी, वह छूट गई. किराया वापस नहीं हुआ. दूसरी फ्लाईट में टिकट लेना पड़ा. लालू जी की मेहरबानी से ४५०० रुपए का चूना लगा और देर से घर पहुँचा सो अलग.

लालू जी की आज कल बहुत तारीफ़ हो रही है. उन्होंने घाटे में चल रही रेल को फायदे में ला दिया. मेनेजमेंट वाले उन्हें हार पहना रहे हैं. पर मेरे व्यक्तिगत अनुभव से भारतीय रेल एक बहुत ही घटिया रेल सेवा है. इस में यात्रियों के लिए कुछ नहीं है. काश भारत में एक रेल सेवा और होती. कोई तो विकल्प होता यात्रियों के सामने. आपने जाना है तो लालू जी की रेल ही लेनी होगी. जेब कटवा कर देर से पहुचंगे.

3 comments:

Anonymous said...

shikayat ke sandarbh me main aap ki matr itni sahayata kar sakta hoon ki aap ko ye address de sakta hoon http://darpg-grievance.nic.in
jahan pe aap apni shikat kar sakte hain. main railway ki shikayat ek baar kar chuka hoon
kuchh hua to nahin lekin haan mere poochhe gaye sawalon ke jwab unhe kisi tarike se dena pada aur vo bhi bakayede post .
is web site pe aap sarkar ke kisi bhi vibhag ke khilaf shikayat kar sakte hain

शोभा said...

आपने एकदम सही जानकारी दी है जबकि कहा ये जाता है कि रेलवे में लालू जी के आने से बहुत सुधार हुआ है। सच्ची तसवीर दिखाने के लिए बधाई।

सुनीता शानू said...

लालू इक्नामिक्स अब सभी को पढ़ लेना चाहिये...:)