दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday 22 May, 2008

दरबाजा दिखाओ इन मंत्रियों को - भाग ३

इस से पहले दो मंत्री ख़ुद को योग्य पात्र साबित कर चुके हैं केन्द्रीय मंत्री परिषद् से बाहर जाने के लिए. इन्हें अब तक दरवाजा दिखा देना चाहिए था. पर न जाने क्यों यह सज्जन, अर्जुन सिंह और रामादोस अभी भी मंत्री बने हुए हैं. अब इस लाइन में शामिल हो गए हैं शिव राज पाटिल. इस सज्जन को तो मंत्री मंडल में होना ही नहीं चाहिए था क्योंकि यह पिछले लोक सभा चुनाव में हार गए थे. मतलब यह कि जनता ने इन्हें अस्वीकार कर दिया था. पर भारत के प्रथम मनोनीत प्रधानमंत्री ने अपने स्पोंसर के आदेश पर इन्हें गृह मंत्री बना दिया था. यह भारत की जनता का अपमान था पर इन राजनीतिबाजों को इस में कोई शर्म नहीं आई.

इन्हें कम दिखाई देता है. इनका सोच भी गड़बड़ा गया है. इन्हें एक हिन्दुस्तानी नागरिक पाकिस्तानी नजर आता है. या फ़िर इनके सोच के अनुसार कश्मीरी पाकिस्तानी होते हैं. इनके अनुसार सरबजीत की पाकिस्तानी जेल से रिहाई मुश्किल हो जायेगी अगर एक हिन्दुस्तानी अफ़ज़ल को फांसी दे दी गई. अफ़ज़ल एक हिन्दुस्तानी है और उसे पार्लियामेन्ट पर हमला करने के अपराध में मौत की सजा हुई है. एक हिन्दुस्तानी को हिन्दुस्तान में सजा देने पर पाकिस्तान को क्या आपत्ति हो सकती है यह तो बस यह मंत्री जी ही समझ सकते हैं.

एक समाचार पत्र के अनुसार यह 'foot in mouth' का केस है. अब ऐसा इंसान मंत्री बना हुआ है तो यही कहा जा सकता है की इस देश में 'देश के लिए बफादारी' कोई मायने नहीं रखती 'एक परिवार के लिए बफादारी के सामने'. कल देर रात, पाकिस्तानी और भारतीय अधिकारियों ने इस्लामाबाद में कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री की अगले महीने होने वाली भारत यात्रा से पहले सरबजीत को रिहा किया जा सकता है. पर इन सज्जन ने सरबजीत का केस अफ़ज़ल के साथ लिंक कर दिया. क्या वोट की राजनीति के लिए सरकार एक हिन्दुतानी को पाकिस्तान में फांसी पर लटकवा देगी? ऐ भाई जल्दी से इस मंत्री को दरबाजा दिखाओ.

3 comments:

कुश said...

पता नही भारत के प्रधानमंत्री कब तक अपने स्पॉंसर की बात मानते रहेंगे..

गुस्ताखी माफ said...

जनाब, ये तो हमारी बदनसीबी है जो एसे एसे शख्स हमारे रहनुमा बने हुये हैं.

(वैसे में तकदीर को नहीं मानता लेकिन एसे कूड़मगजों को देखकर तकदीर पर भरोसा होने लगता है)

संजय बेंगाणी said...

मुश्किल है हमारे हाथ में "लात मारना" नहीं है, मात्र वोट देना है. मगर तब भी ये लोग मंत्रि बन ही जाते है. यानी अपने हाथ में कुछ नहीं.