एक गाँव में रहता था एक पादरी,
सीधा, सरल, म्रदुभाशी, पर किताबी तौर पर अनपढ़,
चर्च ने बनाया एक कानून,
पादरी होंगे कम से कम दसवीं पास,
कानून गाँव में पहुँचा और पादरी की नौकरी चली गई.
रोया, गिड़गिड़ाया, दुहाई दी पर बड़े पादरी नहीं माने,
सारी जिन्दगी गुजार दी अच्छा बनने में,
क्या मिला अच्छा बन कर?
करूँगा अब सारे बुरे काम,
शुरू करूँगा सिगरेट से,
सारा गाँव घूम आया सिगरेट नहीं मिली,
सोचा लोग शहर से लाते होंगे,
मैं ही क्यों न खोल लूँ दुकान गाँव में?
दुकान खोली और व्यापार चल निकला,
पास के गाँव में भी खोल ली दुकान,
बेंक में अकाउंट खुल गया,
नया मेनेजर बेंक में आया,
पादरी को मिलने बुलाया,
आप सिर्फ़ पैसा जमा करते हैं निकालते नहीं,
सुना है शिक्षित भी नहीं है आप,
पर गजब के बिजिनेसमेन हैं आप,
अगर पढ़े लिखे होते तो?
पादरी होता चर्च में.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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1 comment:
रोचक-सच में पढ़ लिख जाता तो बेचारा पादरी होता चर्च में.
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