दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Friday, 25 April 2008

स्वान्तः सुखाय सुरेश गाथा

मेरे कहने की और उनके न सुनने की आदत बहुत पुरानी है.
मैं अपनी आदत से बाज न आया और वह अपनी आदत से बाज न आए.
अब तो आदत से बाज न आने की आदत सी हो गई है.
इंटरनेट के आने से एक और मौका मिला अपनी बात कहने का.
जो मन में आया लिख दिया.
कंप्युटर स्क्रीन पर उसे छपा हुआ देख भी लिया.
अब वह उसे पढ़ें या न पढ़ें उनकी मर्जी,
अपना तो काम हो गया.
स्वान्तः सुखाय सुरेश गाथा.

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