आज ख़बर पढ़ी अखबार मैं,
ओबीसी २७ प्रतिशत,
कोटे के हक़दार बनेंगे,
ऊंचे शिक्षा संस्थानों में,
वह प्रवेश अब पा जायेंगे,
योग्यता के मापदंड,
उन पर लागू नहीं हो पाएंगे.
ग़लत रास्ते पर एक और कदम,
आगे बढ़ गए हम,
कब मानेंगे अपनी गलती,
और रुकेंगे आगे बढ़ना,
वापस आकर फ़िर सोचेंगे,
और खोजेंगे नया रास्ता.
वोटों की राजनीति खेलना,
नए नए वर्गों मैं बाँट कर,
जनता मैं नफरत फैलाना,
जाति का चक्रव्यूह बना कर,
आरक्षण का वाण चलाकर,
जनता को अन्दर ले जा कर.
अभिमन्यु सा मार गिराना,
वोट बना कर इंसानों को,
मत पेटी मैं बंद कराना,
पिछले छह दशकों मैं हमनें,
मात्र यही सीखा है भाई.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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