आज के अखबार मैं मुख्य प्रष्ठ पर न्यूज डाईज़ेसट मैं सात ख़बरों का सारांश है. इन सातों में से पाँच खबरें लूट-मार से संबंधित हैं. अखबार के अन्दर भी लूट-मार वाली और बहुत सी खबरें हैं. पूरे अखबार मैं तलाश करने पर भी कोई ऐसी ख़बर नहीं मिली जिसमें किसी अच्छी घटना का जिक्र हो. क्या अखबारवालों को अच्छी घटनाएं दिखाई नहीं देती या अच्छी घटनाएं घट्नी बंद हो गई हैं?
हम समाज में रहते हैं और समाज में अच्छा बुरा सब घटता है. हमारे आसपास ही अक्सर कुछ अच्छा घट जाया करता है. जो अच्छा हमें दिखाई देता है वह अखबारवालों को भी दिखाई देता होगा. तब वह उसे छापते क्यों नहीं? क्या अच्छी घटनाओं की कोई न्यूज वेल्यू नहीं है? क्या अखबार सिर्फ़ न्यूज वेल्यू के लिए हैं? या जनता अच्छी ख़बरों के बारे में जानना नहीं चाहती. यह जो कुछ भी हो रहा है वह अच्छा नहीं हो रहा है. बचपन में हमें सिखाया गया था की साहित्य समाज का दर्पण होता है. पर अब पता चला की इस दर्पण में केवल लूट-मार की घटनाएं ही दिखाई देती हैं.
मीडिया प्रजातंत्र का एक शक्तिशाली अंग है. अगर मीडिया कमजोर होगा या वह समाज के नकारात्मक रूप को ही दिखायेगा तब इस से समाज और जनता का नुकसान ही होगा.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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