दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday, 12 April 2008

सत्ता का नशा

कीमतें आसमान छू रही हैं,
कमर तोड़ दी है महंगाई ने,
पार्टी हाई कमान घबरा गई है,
विरोधी पक्ष खूंखार हो रहा है,
पर जब उनसे पूंछा गया,
तो नमक छिड़क दिया उन्होंने जख्मों पर,
तरक्की करती अर्थव्यवस्था मैं,
कीमतें तो बढ़ेंगी ही,
और कोई खास तो नहीं बढ़ी हैं कीमतें,
व्यर्थ ही चिल्ला रहे हैं.

लगता है सत्ता का नशा,
सर चढ़ गया है.
कुछ दिन पहले जो तारीफ़ हुई थी,
प्रधान मंत्री के मुखारविंद से,
उसने और सर चढ़ा दिया लगता है,
प्याज पर बदल गई थी सरकार,
यहाँ तो हर चीज पहुँच के बाहर हो गई है,
आम जनता का आक्रोश,
और उन का घमंड,
देखें कौन जीतता है?

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