उन्होंने पूंछा,
क्या रामसेतु पूजा की जगह है?
मेरे मन मैं सवाल उठा,
क्या वह यह भी नहीं जानते?
राम से ज़ुड़ी हर जगह,
पूजा की जगह है.
क्या वह यह भी नहीं जानते?
राम से बड़ा है,
राम का नाम,
जिसे उल्टा जप कर,
बाल्मीकि हो गए थे राम.
क्या वह यह भी नहीं जानते?
बंदर और भालुओं ने,
बना दिया पुल समुन्द्र पर,
लिख कर पत्थरों पर राम का नाम,
उतर गए सब सागर पार,
करते जय जय जय श्री राम.
क्या वह यह भी नहीं जानते?
राम की अपनी एक मर्यादा है,
ऐसे सवाल उठा कर,
वह भंग करते हैं उनकी मर्यादा,
इस धर्म निरपेक्ष समाज में,
एक राम ही हैं धर्म निरपेक्ष,
क्या वह यह भी नहीं जानते?
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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