दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday 13 April, 2008

नकारात्मक मानसिकता

'हिन्दू' शब्द से संबंधित किसी भी विचारधारा की खिलाफत करना एक फैशन हो गया है. अपने आप को महान साबित करने का यह एक आसान तरीका बन गया है. मुसलमान और इसाईओं द्वारा हिन्दू धर्म को बुरा भला कहना उन के धर्म का एक हिस्सा मान कर उन की तारीफ़ की जाती है. जब हिन्दू धर्म के लोग ही हिन्दू धर्म पर आघात करते हैं तब उन्हें तरक्कीशुदा कहा जाता है. किसी ने अगर हिन्दी भाषा और हिन्दू राष्ट्र की बात कर दी तब तो भारत, भारत का संबिधान, भारत की छबि सब खतरे मैं पड़ जाती हैं. सब चिल्लाने लगते हैं. यहाँ तक की सीमापार वफादारी रखने वाले भी राष्ट्रिय अस्मिता की बात करने लगते हैं.

मेरे विचार में यह नकारात्मक मानसिकता का एक रूप है. हिन्दू होना कोई अपराध नहीं है. हिन्दू को राष्ट्रवादी होना कोई अपराध नहीं है. बल्कि राष्ट्रवादी न होना एक अपराध है. दूसरी बात यह है कि कोई राष्ट्र हिन्दू या मुसलमान या सिख या इसाई नहीं होता. यदि कोई हिन्दू राष्ट्र की बात करता है तो उसे हिन्दू राष्ट्रवाद का नाम देना ग़लत है. ऐसा ज्यादातर वह लोग करते हैं जिनकी वफादारी सिर्फ़ सत्ता से है और जो सत्ता के लिए कुछ भी ग़लत कर सकते हैं या वह लोग जिन की वफादारी सीमापार से ज़ुड़ी है. यह भारत का दुर्भाग्य है कि आज ऐसे लोग ही सत्ता में हैं. राष्ट्रवादियों का अपमान करना राष्ट्र का अपमान करना है. यह ऐसा अपराध है जिसे माँ भारती कभी माफ़ नहीं करेगी.

भारत के निर्माण के लिए इस नकारात्मक मानसिकता को बदलना होगा.

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