दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday 26 October, 2008

अर्थव्यवस्था की अर्थी

चार अर्थशास्त्री,
जिन्हें सब कहते थे महान,
मनमोहन, चिदंबरम,
एहलुबालिया, सुब्बाराव.
सौंपी थी इनके हाथों में, 
अर्थव्यवस्था की बाग़ डोर,
इतने साल दिखाते रहे सब्ज बाग़,
अब नजर आ रहे हैं,
कन्धों पर उठाये,
अर्थव्यवस्था की अर्थी . 

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

अर्थव्यवस्था की अर्थी कभी नहीं निकलती। वही लोगों की अर्थी निकालती रहती है। श्रम से कमाने वालों पर कोई संकट नहीं। जो बाजार के साथ खिलखिलाए थे वही उस के साथ रोए हैं।

Unknown said...

आपकी बात भी एक तरह से सही है. पर आज भी यह महान अर्थशास्त्री उन्हीं की चिंता कर रहे हैं जो बाजार के साथ खिलखिलाए थे और अब रो रहे हैं. बैसे श्रम से कमाने वालों पर भी संकट आया हुआ है, मंहगाई ने तो उन्हें भी मार रखा है.

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत गंभीर भाव
सुखमय अरु समृद्ध हो जीवन स्वर्णिम प्रकाश से भरा रहे
दीपावली का पर्व है पावन अविरल सुख सरिता सदा बहे

दीपावली की अनंत बधाइयां
प्रदीप मानोरिया

Anonymous said...

ये सब तो नाम के ही अर्थशास्त्री निकले |

राज भाटिय़ा said...

अजी एक ही उल्लु काफ़ी था गुलिस्थान (हिन्दुस्तान) को उजाडने के लिये आप ने चार चार नाम गिनवा दिये.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें