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हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Saturday, 4 October 2008
मान गए आपको शीला जी
एक टीवी चेनल पर एक बंधू कह रहे थे कि दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला जी जब भी मुहँ खोलती हें कुछ ऐसा कह देती हें जो उचित नहीं होता। वह ऐसा शीला जी के उस बयान के सम्बन्ध में कह रहे थे जो उन्होंने सोम्या विश्वनाथन के कत्ल के सिलसिले में दिया था। आज उस बयान पर एक अखबार ने छापा है। आप भी गौर फरमाएं।
सम्पादकीय में जो कहा गया है मैं उस से सहमत हूँ। क्या आप भी सहमत हें? यह एक शर्मनाक बयान है। इस की जितनी निंदा की जाए कम है।
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Labels:
blaming the victim,
shameful,
shiela dikshit
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5 comments:
maanyavar, yah 60 saal pahle ki galtion ka nateeja hai.
we agree with u sir
regards
जी हाँ .....
सारी गलती जनता की ही होती है . जनता ने उन्हें चुना ये भी जनता की बहुत बड़ी गलती है .
सुरेश जी,जब हम घर मे शाम को सब्जी लेने जाते है तो हर सब्जी को जो हम ने लेनी है उसे पहले अच्छी तरह से देख भाल कर लेते है ट्माटर कॊ दवा कर देखते हे कही खराव तो नही फ़िर भाव तोल करते है, लेकिन जब हम अपने देश का , अपने राज्य का, अपने जिले का, अपने इलाके का नेता चुनते तो कभी उस के बारे सोचते है वो कहा से है, उस का इतिहास क्या है, बस देख अरे इतना अमीर आदमी का पोता गरीब की झोपडी मे सोया यह गोरा भी है बेचारे मे बिलकुल भी अकड नही ओर झट से देदी उस नोटकी वाज को वोट, ओर इस शीला जी को जीता भी हम ने था, अगली बार इन्हे बता दो गलत बोलने का नतीजा, यानि हम अपना वोट उसे दे जिस के बारे हम पता हॊ, (ना की धर्म या जाति या इलाके के नाम पर )कि यह इस देश के लिये कुछ करे गा, ना कि अपने खान दान के लिये .
धन्यवाद
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