दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday 20 December, 2008

आतंकवाद, मुसलमान और कांग्रेस - मैं शर्त हार गया

मुंबई हमलों के बाद ऐसा लग रहा था जैसे सारा भारत एक हो गया है. सब भारतवासी एक स्वर में आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक जुट हो गए थे. आनन्-फानन में केन्द्रीय जांच एजेंसी और कुछ  सख्त कानून भी बन गए. मुसलमान एक स्वर में आतंकवाद और आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ने के ख़िलाफ़ खड़े हो गए. 

इस सब से मैं बहुत प्रोत्साहित था. मगर मेरा एक मित्र नहीं. उस का कहना था कि यह सब कुछ दिनों का नाटक है और जल्दी ही मुसलमानों के कुछ नेता और धर्म की राजनीति करने वाले नेता फ़िर वही पुराने राग अलापने लगेंगे. हमारे बीच शर्त लग गई. 

इन धर्म की राजनीति करने वालों ने कुछ दिनों का इंतज़ार भी नहीं किया और फ़िर शुरू हो गए. अंतुले ने बिगुल बजाया, लालू के चमचे हाँ में हाँ मिलाने लगे. मुसलमानों के नेता भी यही दोहराने लगे. कांग्रेस हमेशा की तरह मामले को टालने की कोशिश करने लगी. अंतुले को कैसे निकालें, राष्ट्र हित जरूरी है या मुसलमानों के वोट, इस दुविधा में फ़िर फंस गई कांग्रेस. फ़िर हो गई धर्म की राजनीति शुरू. अब जल्दी ही कुछ हिंदू भी इस में शामिल हो जायेंगे. मुंबई में निर्दोषों की हत्या फ़िर बेकार जायेगी. भारत पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सबूत इकट्ठे कर रहा है, पर इन घरेलू आतंकवादियों का क्या करेगा? 

नतीजा - मैं शर्त हार गया. 

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

mujhe to lagta hai ki ye antule nahi balki poore bharat ke musalmano ki soch hai anyatha antule ki himmat hoti aisa kahne ki

राज भाटिय़ा said...

जब तक कोई हिटलर जेसा तानाशाह भारत की बांग डोर नही समभालता तब तक यही सब होता रहेगा, आम मुस्लिम भी नही चाहता, आम हिन्दु भी नही चाहता ऎसी जिन्दगी लेकिन यह कमीने नेता जनता को भडका रहे है अपनी कुरसी बचा रहे है, दिल्ली बालो क दिल कितना बडा है फ़िर से इस काग्रेस कॊ जीता दिया.... ता कि आये ओर फ़िर से हमारा खुन चुसे... जब पढे लिखे लोगो का यह हाल है तो अनपडो की क्या बात.... यह नेता तो यही चाहते है, १०, १२ % ही मुस्लिम के वोट है बाकी तो आप सब ने डाले है, फ़िर मुस्लिम भी पक्के कांग्रेस को वोट डाले जरुरी नही...अब जनता ही गलत लोगो को चुने तो.... हार भी जनता को भुगतनी पडॆगी.
धन्यवाद

नितिन | Nitin Vyas said...

ऐसी शर्तें मत लगाया किजीये, ये सारे नेता हमेशा एक ही करवट लेकर बैठते हैं।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

आपके मित्र नब्ज जानते है इन फिरकापरस्तों की .