मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत का हर नागरिक एक स्वर में बोल रहा है आतंकवाद के ख़िलाफ़ (उनको छोड़ कर जिनके ईमान में देश के लिए बफादारी नहीं). इस अप्रत्याशित एकता को संजोये रखने के लिए और इस विचारधारा को सही दिशा देने के लिए आज देश को एक नेता की जरूरत है.
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज़ादी के बाद इस देश में कोई नेता पैदा नहीं हुआ. कहते तो बहुत हैं ख़ुद को नेता पर कहने से क्या होता है, हकीकत में तो यह सब मात्र राजनीतिबाज हैं जो राजनीति का व्यवसाय करते हैं. चुनाव में पैसा लगाते हैं और जीत जाने पर हजारों गुना नफा कमाते हैं. इनका मजहब पैसा है. इनका ईमान पैसा है.
देश को एक ऐसा नेता चाहिए जिसका धर्म, ईमान सब कुछ देश हो, जिसके मन, वचन और कर्म में जनता की सेवा ही एकमात्र उद्देश्य हो. जो शासक नहीं सेवक हो. काश एक ऐसा नेता मिले इस देश को.
3 comments:
सही लिखा है आपने, ये सब लेता हैं, नेता एक भी नहीं.
आपने सही कहा कि आजादी के बाद कोई नेता पैदा नहीं हुआ। अब जो चीज देश में नहीं होती उसे बाहर से मंगाना पड़ता है तो--------
राजेश्वरी तोमर ने अपनी टिपण्णी ऐ-मेल द्वारा मुझे भेजी है. उनकी टिपण्णी यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
"हमारे देश में चुनाव एक व्यवसाय का रूप ले चुका है. जो एक बार जीत जाता है, वो पूरे ५ साल तक इसे वसूल कर लेना चाहता है. हम आम लोगों में भी जागरूकता की कमी है, ज़ाहिर है हम आम लोगों का भी ऐसा मंच होना चाहिए जहाँ हम देश और समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठा सकें और ऐसा भी नहीं है कि कोई भी नेता बनने लायक न हो. उदाहरण के लिए कुछ वर्ष पहले हमारे चुनाव आयुक्त श्री लिंगदोह हुआ करते थे जो अपने कार्यकाल के बाद सिर्फ़ अपने पालतू कुत्तों के साथ वापस चले गए थे. ऐसे ही और भी इमानदार लोग हैं. ज़रूरत है कि हम ऐसे लोगों को पहचानकर उनसे प्रार्थना करें कि वो भारत को वही वापस शीर्ष पर ले जाने में मदद करें."
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