दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Wednesday, 10 December 2008

आतंकवाद को जिहाद का नाम देना ग़लत है

विश्व में बहुत से आतंकवादी अपनी अमानवीय कार्यवाहियों को जिहाद का नाम देते हैं. उसे इस्लाम से जोड़ कर यह साबित करते हैं कि जो कुछ वह कर रहे हैं वह इस्लाम का तकाजा है. इस्लाम के बहुत से धार्मिक नेता इस का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि इस्लाम इस तरह के कामों की इजाजत नहीं देता. मगर कहीं न कहीं, लोग इन आतंकिओं की बात का समर्थन कर देते हैं, उन्हें जिहादी मान कर, उन्हें जिहादी कह कर. 

जो कत्लेआम यह आतंकी कर रहे हैं वह जिहाद नहीं है. जिहाद तो इंसान अपने अन्दर छिपी बुराई के ख़िलाफ़ करता है. जिहाद एक तरह की तपस्या है, प्रायश्चित है. वह किसी के ख़िलाफ़ नहीं होता. वह सिर्फ़ बुराई के ख़िलाफ़ होता है. हम जब सच बोलते हैं, झूट के ख़िलाफ़ जिहाद करते हैं. हम जब प्रेम करते हैं, नफरत के ख़िलाफ़ जिहाद करते हैं. अहिंसा हिंसा के ख़िलाफ़ जिहाद है. ईमानदारी बेईमानी के ख़िलाफ़ जिहाद है. 

2 comments:

हिन्दीवाणी said...

सुरेशचंद्र जी, आपने सच लिखा है। सही लिखा है। दरअसल, जेहाद के साथ यह शर्त भी जुड़ी है कि किसके लिए और क्यों? कुरानशरीफ में यह बहुत साफ लिखा है कि जेहाद निर्दोष लोगों की हत्या के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जेहाद तो जालिमों के सफाए के लिए है। मुंबई या भारत के किसी कोने में आतंकवादी हमले या बम ब्लास्ट में मारे जाने वाले तमाम इंसान जालिम नहीं थे, वे निर्दोष थे। इसलिए पाकिस्तान या अन्य कोई देश (छिपा नाम अमेरिका) अगर ऐसा तथाकथित जेहादियों का समर्थन कर रहा है तो वह इस्लाम विरोधी है। यह जेहाद नहीं है...इसे पागलपन या कायरता ही कही जाएगी कि आप किसी को धोखे से मार डालें।
आपको इतने स्पष्ट लेखन और विचार के लिए मैं दिल से बधाई देता हूं।

Anonymous said...

बात तो आपने बिल्कुल सही कही है, पर जिन लोगों ने जिहाद को धंधा बना दिया है वह नहीं समझेंगे.