दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Sunday, 7 December 2008

एक परिवार बनाम देश के बाकी सारे परिवार

एक तराजू लीजिये, एक पलड़े में एक परिवार रखिये और दूसरे में देश के बाकी सारे परिवार, एक परिवार का पलड़ा नीचे झुक जायेगा. कौन है यह परिवार? पिछले कुछ दिनों से जो अखवार में छप रहा है, टीवी पर दिखाया जा रहा है, उसके अनुसार यह परिवार है, गाँधी परिवार. इस परिवार में हैं चार वयस्क और कुछ बच्चे. यह परिवार अकेला देश के सारे परिवारों पर भारी पड़ता है. इस परिवार की सुरक्षा पर  जनता का जितना पैसा खर्च होता है वह देश के बाकी परिवारों पर खर्च होने वाले पैसे से कहीं ज्यादा है. 

इस परिवार की सुरक्षा करता है - स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी). देश की जनता को आतंकी हमलों से बचाने के लिए एनएसजी का गठन किया गया है. एनएसजी के बहुत से कमांडोज को जनता की सुरक्षा से हटा कर कुछ राजनीतिबाजों की सुरक्षा पर लगा दिया गया है. अब तुलना करें  एसपीजी और  एनएसजी की. वर्ष २००८ -२००९ में  एनएसजी का बजट है १५८ करोड़ रुपये. इस के मुकाबले में एसपीजी का बजट है १८० करोड़ रुपये. यानी, देश की जनता की सुरक्षा पर जितना पैसा खर्चा हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा पैसा इस अकेले परिवार की सुरक्षा पर खर्च हो रहा है. 

कितना शर्मनाक है यह, देश के लिए, जनता के लिए, इस परिवार के लिए. 

6 comments:

Anonymous said...

ज़नाब, एनएसजी के जवान क्या ज़नता की सुरक्षा करते हैं?
एनएसजी का कमांडो का अधिकांश भाग नेताओं के आगे पीछे सजावट के काम आते हैं. जिस समय मुम्बई में एनएसजी की ज़रूरत थी, दो सौ से अधिक एनएसजी के जवान मुम्बई में ही मौजूद थे लेकिन वह नेताओं और अभिनेताओं की देखभाल कर रहे थे.

अनुनाद सिंह said...

यह वह परिवार है जिसने देश का सबसे अधिक नुकसान किया है। देश के लिये नि:स्वार्थ भाव से आत्मोत्सर्ग करने वाले सपूतों (सुभाष, भगत, सावरकर, गांधी, पटेल और हजारों अन्य) को गुमनाम बनाकर भारत के लिये कम से कम मेहनत करके खूब मलाई चाटी है। यह वह परिवार है जिसने इस देश को जितना दिया है उससे हजार गुना वसूल लिया है। यह वह परिवार है जिसके मन्दबुद्धि सन्तान को अब देश पर थोपने का कुचक्र रचा जा रहा है। यह वह परिवार है जिसको भारत की संस्कृति से पूरी तरह कटा हुआ है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

यह देश का दुर्भाग्य है कि हम कायर नेताओं की रियाया के रूप में जी रहे हैं। जनता का सेवक तो जनता के बीच रहता है। उसे प्राणों का डर कैसा! आप ने स्पार्टकस की कहानी पढी ही होगी जिसमें जब सिपाही पूछते हैं, आप में से स्पार्टकस कौन है तो सभी कहते हैं - मैं हूं स्पार्टकस। नेता संगीनों के साये में नहीं जिया करते।

राज भाटिय़ा said...

यह वो परिवार है जिस ने इस देश को फ़िर से गुलामी की ओर धकेल दिया है लेकिन फ़िर भी मुर्ख जनता इसे क्यो सर आंखो पर बिठाती है?????

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

असली गाँधी परिवार के बारे में तो शायद ही कुछ लोग बता पायें। पर गाँधी की बिन्दी जितना भी सरोकार नहीं है जिनका वे देश धकियायें।

अजब हमारी फितरत, अजब हमारे खेल। नाम देख कर लगाते हैं चमेली का तेल।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ऊपर सभी विचारकों ने मेरे दिल की बात लिख दी है.