दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Tuesday, 10 June 2008

भ्रष्टाचार मिटाने का सरल उपाय

आज भ्रष्टाचार हमारे समाज और देश के लिए एक चुनौती बन गया है. पिछले कुछ दशकों में यह असाधारण रूप से बढ़ा है और हमारे जीवन के हर पहलू को आत्मसात करता जा रहा है. भष्टाचार की कमाई मानवीय संवेदनाओं को खत्म कर रही है. लोग हिंसक हो रहे हैं. जरा सी बात पर लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं. लालच इस कदर बढ़ गया है कि लोग माता-पिता, भाई-बहन का खून बहाने से भी नहीं हिचकिचाते. अब तो लोग यह कहने लगे हैं कि भ्रष्टाचार हमारे समाज से कभी दूर नहीं होगा.

इस बारे में हमें सोचना होगा. किसी असाधारण समस्या को सुलझाने के उपाय भी असाधारण होनें चाहियें. अक्सर यह असाधारण उपाय बहुत सरल होते हैं. कभी-कभी मुझे लगता है कि अगर हम इस असाधारण उपाय को अपने जीवन में लागू करें तो भ्रष्टाचार की समस्या काफ़ी हद तक ख़त्म की जा सकती है.

समझने के लिए हम एक परिवार को लेते हैं, जिसमे माता, पिता, बेटा और बेटी हैं. पिता काम करते हैं और भयंकर भ्रष्टाचारी हैं. अगर मां, बेटा और बेटी यह तय करलें कि हम अपने परिवार से भ्रष्टाचार समाप्त करेंगे तो क्या करना होगा? गृहणी अपने पति भ्रष्टेश्वर से कहें कि मैं आज से भ्रष्टाचार की कमाई को हाथ नहीं लगाऊंगी. भ्रष्टाचार की कमाई से खरीदी गई किसी बस्तु का अपने घर में प्रयोग नहीं करूंगी. ऐसा ही बेटा और बेटी भी अपने पिता से कहें. श्रीमान भ्रष्टेश्वर अपनी भ्रष्टाचार की कमाई को केवल अपने ऊपर खर्च करें. उन की जो ईमानदारी की कमाई है उसे ही वह इस्तेमाल करें.

उपाय असाधारण है पर बहुत सरल है, बस इसके लिए एक मजबूत इच्छाशक्ति चाहिए. ऐशो-आराम की जो आदत हो चुकी है, उसके कारण काफ़ी परेशानी होगी. पर उस की परवाह किए बिना अपने चुने रास्ते पर चलना है.

आइये हम अपने परिवेश में भ्रष्टाचार समाप्त करने का आगाज करें.

9 comments:

Anshu Mali Rastogi said...

संभव हो तो कोई लेख धर्म और ईश्वर में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी लिखें।

Unknown said...

हा हा हा हा हा, सुझाव तो अच्छा है, लेकिन… इस "लेकिन" में ही जमाने भर का लालच, होड़, हाय-हाय, सब छुपा हुआ है, इसकी बजाय मेरा सुझाव है कि फ़ास्ट ट्रेक अदालतें स्थापित करके फ़ांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिये… ऐसे तो भ्रष्टाचार मिटने से रहा…

डॉ .अनुराग said...

aise sanskaar ke liye dard ichhashakti aor sankalp ke alava ek achhi maa ka hona bhi bahut jaroori hai....

Udan Tashtari said...

भाई जी

हो उल्टा रहा है. आधे भ्रष्टाचारी तो पत्नी और बच्चों की फरमाईश पूरा करने को भ्रष्टाचारी हो गये हैं. मैने कई महिलाओं को अपने इमानदार पतियों को झिड़कते देखा है कि ये तो किसी काम के नहीं हैं.बस तन्ख्वाह लिए घर चले आते हैं और इनके साथ वाले ऐश कर रहे हैं.

समस्या बहुत जटिल है किन्तु एक एक स्टेप से ही होगा. शायद कहीं आपका कहा लग जाये, शुभकामनायें.

Unknown said...

अंशुमाली जी, मैं अवश्य लिखता अगर धर्म और ईश्वर में भ्रष्टाचार व्याप्त होता. धर्म को समझने का प्रयास करें तो मन की कड़वाहट मिठास में बदल जायेगी.

उड़न तश्तरी, आपने ठीक कहा ऐसा भी होता है. पर यहाँ यह उपाय पति के लिए है.

Unknown said...

डाक्टर अनुराग, मेरे ब्लाग पर आने और टिपण्णी करने के लिए धन्यवाद. "ऐसे संस्कार के लिए दर्द इच्छाशक्ति ओर संकल्प के अलावा एक अच्छी माँ का होना भी बहुत जरूरी है", बहुत सही कहा आपने. अपने पति के भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने वाली पत्नी ही एक अच्छी माँ बनेगी.

Unknown said...

सुरेश जी, मेरे ब्लाग पर आने के लिए आपका धन्यवाद. आपका सुझाव सही है पर उसमें पुलिस, अदालत सब शामिल हैं. मैंने एक सरल उपाय सुझाया है जिसमें एक व्यक्ति है और है उसका संकल्प ख़ुद को सुधारने का जिससे घर सुधरेगा.

अनुनाद सिंह said...

मै भी सुसेश चिपलूनकर जी के समाधान को ही व्यावहारिक मानता हूँ। आर्थिक भ्रष्टाचार के लिये भी कठोर दण्ड का प्रावधान होना चाहिये। अभी तो डण्ड कुछ भी नहीं है। ऐसे में भ्रष्ट व्यक्ति चाहता है कि इस जन्म में इतना कमा लिया जाय कि आने वाली सौ पीढ़ियों को कुछ करना ही न पड़े।

Unknown said...

आर्थिक भ्रष्टाचार के लिये कठोर दण्ड का प्रावधान अभी भी है पर यह सिर्फ़ कागजों पर है. कितने भ्रष्टाचारिओं को अब तक सजा मिल पाई है? पुलिस, अदालत और फ़िर सरकार किसी न किसी तरह भ्रष्टाचारिओं को माफ़ी दिलवा ही देती है. मुझे लगता है मेरा उपाय ही सार्थक होगा.