नेताजी की महिमा अपार है. इस महिमा को एक आम हिन्दुस्तानी ने अच्छी तरह समझा है. आज देश में हर नागरिक नेता है. कहते हैं आदमी चुनाव जीत कर नेता बन जाता है. पर असलियत में चुनाव में जीते ही क्या नेता होते हैं? अरे जिन्होनें कोई चुनाव नहीं जीता वह भी तो नेता होते हैं. ऐसे नेता तो प्रधान मंत्री तक बन जाते हैं. और जो चुनाव में हार जाते हैं क्या वह नेता नहीं रहते? पाटिल और प्रफुल्ल चुनाव हारे पर गृह मंत्री और उड्डयन मंत्री बन कर घर और हवाई जहाज में नेतागिरी कर रहे हैं. अर्जुन बफादारी के नाम पर नेतागिरी कर रहे हैं. हर आदमी नेतागिरी कर रहा है. किसी की दूकान चल जाती है. जिस की नहीं चलती वह दूकान की पटरी पर बैठ कर चालू नेताजी के साए में नेतागिरी कर लेता है.
हिन्दी ब्लाग जगत में ही देखिये कितने नेता है? गिनती करेंगे तो दंग रह जायेंगे. पार्टियां बना रखी हैं सबने. कभी कभी जूतम-पैजार भी हो जाती है. देखी होंगी आप सबने. बात सही है पर विरोध करना है क्योंकि दूसरी पार्टी वाले ने लिखी है.
भारत नेताओं का देश है. जंगली घास की तरह उगते हैं नेता इस देश में. जो पत्थर उठाएंगे, उसके नीचे दो चार नेता धंदे की बात करते नजर आयेंगे. अगर आप से किसी का यह कह कर परिचय कराया जाए कि बहुत पढ़े-लिखे हैं, समझदार हैं, ईमानदार है, परोपकारी हैं, तो क्या कोई असर होगा आप पर? अगर मात्र इतना कह दिया जाए कि इनकी मंत्री जी से जान पहचान है तो आप आधे झुक जायेंगे उन्हें दंडवत करने में. मन ही मन गाली देंगे ख़ुद को कि फोटो खींचने का बंदोवस्त क्यों नहीं कराया.
नेता जी से ज्यादा बड़ा नेता उन का सचिव होता है. नेता जी के ड्राइवर की नेतागिरी के तो क्या कहने. बड़े-बड़े तीसमारखां उन्हें सलाम करते हैं. जो काम नेताजी नहीं करवा पाते वह यह लोग करा लेते हैं. कभी-कभी तो नेताजी ख़ुद इन की मदद लेते हैं. नेताओं में आपस में रंजिश हो सकती है, पर उनके सचिवों और ड्राइवरों में कभी रंजिश नहीं होती. नेताजी हर दरवाजा खुला रखते हैं.
लालू जी इतने सालों से असली नेतागिरी कर रहे हैं पर अब शाहरुख के साथ उस की ऐक्टिंग करना चाहते हैं. उनके आने से ब्लाग जगत में भी प्रजातंत्र आ गया है. उन्हें सेलिब्रिटी ब्लॉगर कहा जा रहा है. लिखता कोई और है पर नेताजी तो लालू हैं, इसलिए ब्लॉगर तो उन्हें ही कहा जायेगा, और क्योंकि वह एक सेलिब्रिटी हैं इस लिए मात्र ब्लॉगर कहना उनकी तौहीन होगी. उनके आने से ब्लाग जगत में चमचागिरी का प्रवेश हो गया है.
नेता पर जितना लिखा जाए उतना कम है. बहुत कठिन विषय है यह. पर एक कोशिश की है मैंने.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Friday, 20 June 2008
नेताजी ज्ञान यज्ञ
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3 comments:
क्या शानदार बात लिखि है जी, यहा का मामला पूरी तफ़सील से बताये , काहे कि हमे भी तो पता चले कौन किस पार्टी का नेता है जी :)
बहुत बढिया प्रस्तुति। आजकल हर क्षेत्र में नेताओं का वर्चस्व है।
दीपक भारतदीप
अरुण जी, नेता किसी एक पार्टी का नहीं होता. वह अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए एक पार्टी से जुड़ता है. स्वार्थ पूरा न होने वह दूसरी पार्टी से जुड़ जाता है. नेता सिर्फ़ नेता होता है. जो मैंने लिखा वह हर नेता की कहानी है.
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