दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday, 14 June 2008

औरत क्यों रोती है?

एक बच्चे ने अपनी माँ से पूछा, "माँ आप रोती क्यों हैं?",
"क्योंकि मैं एक औरत हूँ", माँ ने कहा,
"मैं समझा नहीं", बच्चा बोला,
माँ ने उसे बाहों में समेट कर प्यार किया और बोली, "तुम नहीं समझोगे, पर चिंता मत करो सब ठीक है".

बच्चे ने पिता से पूछा, "माँ बिना बात के क्यों रोती है?",
पिता ने कहा, "सब औरतें बिना बात के रोती हैं",

बच्चा बड़ा हो गया पर यह नहीं समझ पाया कि माँ क्यों रोती है.

परेशान एक दिन उस ने भगवान् से पूछा, "है भगवन, औरतें अक्सर रोती क्यों हैं?",

भगवन ने जवाब दिया, "मैंने जब औरत को बनाया तो सोचा इसे स्पेशल होना चाहिए. मैं पुरूष बना कर गलती कर चुका था. अब उस गलती को ठीक करना था. इसलिए मैंने औरत को वह सब कुछ दिया जो पुरूष को नहीं दिया था. मैंने औरत को एक अंदरूनी ताकत दी जिससे वह मेरी स्रष्टि को आगे बढ़ा सके. और फ़िर मैंने उसे दिया एक आंसू, जिसे वह बहा सके जब जरूरत हो. जब तुम किसी औरत को रोते हुए देखो तब यह सोचना कि यह तुम्हारी कमजोरी है जो उस की आंखों से बाहर आ रही है. औरत कभी अपने लिए नहीं रोती. वह हमेशा तुम्हारे लिए रोती है. और यह वह अंदरूनी ताकत है जो मैंने उसे दी है. औरत के बिना पुरूष अधूरा है, उस की कोई हैसियत नहीं है. वह ख़ुद को पूर्ण और ताकतवर समझता है और यही उस की कमजोरी है."

3 comments:

mehek said...

isse jyada bhav purn sundar kahani hamne aaj tak nahi padhi,baut khubsurat ehsaas.

Anonymous said...

aacha likha hai

Batangad said...

चंद अल्फाज में कमाल की किस्सागोई कर दी है। सीधे जेहन में उतर जाती है