दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday 29 March, 2008

हम चुनाव लड़ रहे हैं, हमें आप का वोट चाहिए

यह तो कमाल हो गया! जरूर आज सूरज पश्चिम से निकला था. मेरे दरवाजे पर नेताजी आए. नहीं मैं उन्हें जानता नहीं, पहचानता भी नहीं. उन्होंने कहा वह नेता हैं, उनके साथ काफी लोग भी थे, मेरे पास उनकी बात न मानने का कोई कारण भी नहीं था. इसलिए मैंने मान लिया कि वह नेता हैं. बैसे मैंने कभी सोचा नहीं था कि कभी कोई नेता मेरे दरवाजे पर आएगा. मैं बैसे ही नेताओं से बचता हूँ और ईश्वर से यह प्रार्थना करता रहता हूँ कि कोई नेता मेरे दरवाजे पर न आए. मेरा मानना है कि देश की बहुत सी समस्याओं के लिए यह नेता ही जिम्मेदार हैं. किसी समाज को यदि अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्त करना है तब पहले उसे नेताओं से मुक्त करना होगा.

तो मैं कह रहा था, मेरे दरवाजे पर नेता जी आए.
उन्होंने कहा - 'हम आपके क्षेत्र से विधान सभा का आगामी चुनाव लड़ रहे हैं'.
मैंने कहा - 'पहले तो मैं लड़ाई में विश्वास नहीं करता. दूसरे आप मेरे क्षेत्र में आकर क्यों लड़ रहे हैं, आप को लड़ना है तो अपने क्षेत्र मैं जाकर लड़िए, तीसरे यह आपका कोई अपना मामला होगा, चौथे मुझे इस में क्यों फंसा रहे हैं?'
उन्होंने कहा - 'आप समझे नहीं',
मैंने कहा - 'तो समझाइए न',
उन्होंने कहा - 'हम चुनाव लड़ रहे हैं',
मैंने कहा - 'यह तो आप पहले ही कह चुके हैं और मैं भी कह चुका हूँ कि आप को लड़ना है तो लड़िए, मैं इस में क्या कर सकता हूँ?'
उन्होंने कहा - 'हमें आप का वोट चाहिए',
मैंने कहा - 'मेरा वोट लड़ने के लिए नहीं है, आप ग़लत जगह आ गए हैं',
उन्होंने कहा - 'आप समझ नहीं रहे हैं',
मैंने कहा - ' अरे भाई तो समझाइए न',
उन्होंने कहा - 'हम चुनाव लड़ रहे हैं और उस के लिए हमें आप का वोट चाहिए',
मैंने कहा - ' अब आप नहीं समझ रहे हैं, मैंने कहा कि मेरा वोट लड़ने के लिए नहीं है, वह आप को नहीं मिल सकता',
उन्होंने कहा - 'अब मैं नहीं समझा',
मैंने कहा - 'मैं समझाता हूँ, मेरा वोट उस के लिए है जो विधान सभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधिव करेगा, उस के लिए नहीं जो लड़ेगा',
उन्होंने कहा - 'सब ऐसा ही कहते हैं, चुनाव लड़ना',
मैंने कहा - 'पर मैं ऐसा नहीं कहता, आप उन के पास जाइये जो चुनाव को लड़ाई मानते हैं और कहते हैं, मैंने आप से पहले ही कहा था कि आप ग़लत जगह आ गए हैं, नमस्कार',
उन्होंने कहा - 'अरे हमारी बात तो सुनिए',
मैंने कहा - 'इतनी देर से और क्या कर रहा हूँ?, नमस्कार ,
उन्होंने कहा - 'अरे',
मैंने कहा - 'नमस्कार',
उन्होंने फ़िर कहा - 'अरे',
मैंने फ़िर कहा - 'नमस्कार',
शायद यह वार्तालाप और देर चलता पर मेने दरवाजा बंद कर लिया.

अपना वोट दीजिये

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी,आप की बात से सहमत हु,