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जल और जीवन एक हैं,
जल संचय तब जीवन संचय,
जब नभ देते जल उपहार,
नहीं संजोते, व्यर्थ गवांते,
और वाद मैं फ़िर पछताते.
जल का क्षय है जीवन का क्षय,
पानी का घटता जल स्तर,
सूखी नदियाँ, सूखी नहरें,
पानी किया प्रदूषित हमने,
हर घर मैं वीमार भरे हैं,
फ़िर भी नहीं बाज आते हम.
किसे बताएं, क्या समझायें?
सब हैं जानकार पर फ़िर भी,
अपने ही शत्रु बन बैठे,
काट रहें उस डाली को,
जिस पर बना बसेरा अपना.
तृतीय विश्व युद्ध जब होगा,
पानी उस का कारण होगा,
लिखते हैं और पढ़ते हैं हम,
एक दूजे से कहते हैं हम,
पर ख़ुद नहीं समझते हैं हम,
सर्वश्रेष्ठ रचना ईश्वर की,
मानव क्या से क्या बन बैठा,
जागो अभी समय है थोड़ा,
जल का संचय यदि करोगे,
तभी बचेगा मानव जीवन.
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