दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Thursday, 27 March 2008

मैं ऐसी किसी दिल्ली को नहीं जानता

प्रधान मंत्री से इंटरव्यू

प्रश्न - आपने दिल्ली मुख्य मंत्री की पीठ थपथपाई,
कहा उन की बनाईं दिल्ली आपको बहुत भाई.
उत्तर - हाँ, यह तो आपने ठीक कहा भाई.

प्रश्न - साफ सुथरी, हरी भरी, अति सुंदर दिल्ली,
देश के सब शहरों मैं प्यारी दिल्ली.
उत्तर - हाँ, यह भी आपने ठीक कहा भाई.

प्रश्न - यह किस दिल्ली की बात की आपने?
उत्तर - जहाँ मैं रहता हूँ भाई.

प्रश्न - और आम आदमी जहाँ रहते हैं,
उस दिल्ली के बारे मैं आपकी राय,
उत्तर - मैं ऐसी किसी दिल्ली को नहीं जानता भाई.
न ही शीला बहन ने ऐसी कोई दिल्ली दिखाई,
कभी कभी विरोधी पक्ष करता है शिकायत,
पर यह तो उन की आदत है भाई.

प्रश्नकर्ता - अच्छा नमस्कार.
प्रधान मंत्री - क्या इंटरव्यू ख़त्म?
प्रश्नकर्ता - जी हाँ.
प्रधान मंत्री - मैं समझा नहीं भाई.
प्रश्नकर्ता - अगला प्रश्न तब,
जान जायेंगे आप जब,
उस दिल्ली को जहाँ मैं रहता हूँ,
दिल्ली का एक आम आदमी,
जो नहीं है आपकी दिल्ली सी,
साफ सुथरी, हरी भरी, अति सुंदर,
जहाँ हमेशा रहती है विजली और पानी की किल्लत,
जहाँ आदमी नहीं है सुरक्षित,
न घर मैं, न घर के बाहर,
जहाँ पुलिस से डर लगता है,
मन कहीं और भाग जाने को करता है,
जहाँ के वोट आपको जिताते हैं,
पर जीत कर आप आसानी से कह जाते हैं, कि
"मैं ऐसी किसी दिल्ली को नहीं जानता".

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