होली के रंग गुझिया के संग,
भांग पी कर होली का हुड़दंग,
आओ मिलें गले,
भुला दें शिकवे गिले,
करें एक नई शुरुआत,
अब चलेंगे साथ साथ.
कल रात जलाई हम नें होली,
भस्म हो गई होलिका,
होलिका जो जलाती है दूसरों को,
पर जल जाती है स्वयं,
हर साल यह नाटक करते हैं हम,
पर सीखते नहीं कुछ भी,
पालते हैं अपने अन्तर मैं एक होलिका,
जलाने को दूसरों को,
पर जो जला डालती है हमें.
इस बार आई है होली,
ईद की खुशिओं के संग,
गुड फ़्राईडे का लेकर रंग,
त्यौहार मिल गए हैं जब,
क्यों न मिला लें अपने मन,
प्यार करें सब को,
नफरत न करें किसी को.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Thursday, 20 March 2008
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