बाहर से एक दिल्ली है पर अन्दर हैं दो,
आम दिल्ली और खास दिल्ली,
या कहें आम दिल्ली के अन्दर खास दिल्ली,
या कहें प्रधान मंत्री की दिल्ली,
और एक वह दिल्ली जिसे वह नहीं जानते.

दिल्ली साफ है, हरी भरी है, अति सुंदर है,
वधाई मिली जिसके लिए मुख्य मंत्री को,
इस दिल्ली में रहते हैं खास आदमी,
प्रधान मंत्री रहते हैं स्वयं जहाँ,
पानी, विजली जहाँ असीमित है,
पूरी तरह सुरक्षित है,
खुली सड़कें, खुले फुटपाथ,
हरियाली ही हरियाली,
कभी गुजरते हैं वहाँ से,
कहता है मन रह जायें यहीं.
दूसरी दिल्ली जिसके बारे में अनजान हैं प्रधान मंत्री,
मुख्य मंत्री नहीं हैं चिंतित जिसके लिए,
जिसमें रहते हैं आम आदमी,
या कहें जहाँ रहते हैं वोट,
जो गन्दी है, बदसूरत है, असुरक्षित है,
जहाँ विजली और पानी की किल्लत है,
तंग सड़कें हैं, फुटपाथ पर दुकानें हैं,
खुली नालियाँ हैं, बीमारियाँ हैं.
हर कदम पर जहाँ खतरा है,
जहाँ लोग काम करते हैं,
और सरकार को टैक्स देते हैं,
यह टैक्स बनाता है और सुंदर,
प्रधान मंत्री की दिल्ली को.





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