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कब शुरू हुई कोई नहीं जानता,
किसने शुरू की पता नहीं,
पर शायद हम सब जानते हैं,
बस अपनी जिद मैं मानते नहीं,
और यही जिद इस लड़ाई का कारण है.
यह लड़ाई शुरू हुई तब,
इंसान इस जमीन पर आया जब,
जमाने को अपना अधिकार,
किया उसने प्रकृति का बलात्कार,
हवा, पानी, सूर्य की रौशनी,
चन्दा की चांदनी, जंगल, जानवर,
नदी, नाले, पर्वत, घाटियाँ,
सब बने उस का शिकार,
मचा दिया उसने हाहाकार.
सूखा पड़ा या वाढ आई,
पर्वतों ने लावा उगला,
मौसम बदले, ऋतुएं बदलीं,
सूनामी ने कहर बरपाया,
इंसान फ़िर भी समझ न पाया,
प्रकृति तो माँ है,
उससे लड़ते नहीं,
उसकी गोद मैं आराम करते हैं.
भगवान् की सबसे अच्छी रचना,
दुश्मन बन गई अपनी,
मानव स्रष्टि समाप्त होने की तैयारी है,
पर यह लड़ाई अभी भी जारी है.
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