क्या आप जानते हैं?
कभी-कभी भविष्य वर्तमान नहीं बनता,
भविष्य की कल्पना वर्तमान मैं आकर भी,
भविष्य की कल्पना ही रह जाती है,
जानना है तो दिल्ली आइये.
दिल्ली मैं वर्षों से है विजली की किल्लत,
पर दिल्ली सरकार के पास हैं,
मात्र सुनहरे भविष्य के सपने,
आंकड़े कह रहे हैं,
इस गरमी मैं भी रहेगी विजली की किल्लत,
शुरुआत ही चुकी है लम्बी कटौतियों की,
पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी,
कोई समाधान नहीं है सरकार के पास,
इस वर्ष भी कर दी है एक घोषणा,
वर्ष २०१० तक दिल्ली मैं होगी,
विजली ही विजली,
योजना आयोग सुन कर मुस्कुराया,
१०००० करोड़ मुख्य मंत्री को पकड़ाया.
वर्तमान भुगतिए और तैयार रहिये,
भविष्य का वर्तमान भुगतने को,
यदि दिल्ली मैं रहते हैं,
तब यही आपका भविष्य है,
और यही वर्तमान.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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