दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday, 15 November 2008

समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति कैसे हों?

ईश्वर ने जिसे प्रतिष्ठा दी हो, समाज ने जिसे अधिकार दिया हो, उसे सर्व-साधारण के लिए हर समय जागना चाहिए. 

जब पैर में काँटा चुभता है तब मष्तिष्क विश्राम नहीं कर पाता है. इसी तरह साधारण से साधारण जन के कष्ट में होने पर समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति तब तक न सोयें जब तक उनका कष्ट दूर न हो जाए. 

जो समाज का दुःख स्वयं ले लेते हैं, वह नीलकंठ बन कर पूजे जाते हैं. जो समाज का सुख छीनते हैं वह राहू की तरह दुर्दशा को प्राप्त होते हैं. 

3 comments:

L.Goswami said...

aapse 100 % sahmat hun.par kiya kya ja sakta hai

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सही कहा आप ने, धन्यवाद

Gyan Darpan said...

जो समाज का दुःख स्वयं ले लेते हैं, वह नीलकंठ बन कर पूजे जाते हैं. जो समाज का सुख छीनते हैं वह राहू की तरह दुर्दशा को प्राप्त होते हैं.
बिल्कुल सही लिखा है