चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को २२ अक्तूबर, २००८ को चन्द्रमा पर भेजा गया है। यह यान पोलर सेटलाईट लांच वेहिकल (पी एस एल वी) के एक परिवर्तित संस्करण वाले राकेट की सहायता से प्रक्षेपित किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र 'इसरो' के चार चरणों वाले ३१६ टन वजनी और ४४.४ मीटर लंबा अंतरिक्ष यान चंद्रयान प्रथम के साथ ही ११ और उपकरण एपीएसएलवी-सी११ से प्रक्षेपित किए गए जिनमें से पाँच भारत के हैं और छह अमरीका और यूरोपीय देशों के।इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में ५ दिन लगेंगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग जाएगा । इस परियोजना में इसरो ने पहली बार १० उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित किए हैं।
चंद्रयान-प्रथम चांद पर पहुंच कर वहां एक उपग्रह स्थापित करेगा। चंद्रमा से १०० किमी ऊपर ५२५ किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र खींचेगा । चंद्रमा पर जाने वाला यह यान घरेलू ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन से भेजा जाएगा। चंद्रयान-प्रथम मिशन से अत्याधुनिक वैज्ञानिक शोध के नए रास्ते खुलने की आशा जताई जा रही है। स्वदेश निर्मित प्रक्षेपण वाहन और अंतरिक्षयान क्षमताओं के कारण भारत महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष योजनाओं को अंजाम देने में सक्षम है। इससे भविष्य में चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर मानव-सहित विमान भेजने के लिये रास्ता खुलेगा। भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के अनुक्रम में यह २७वाँ उपक्रम है।
कैसे और कब हुआ यह सब:
* बुधवार २२ अक्तूबर २००८ को छह बजकर २१ मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से चंद्रयान प्रथम छोड़ा गया। इसको छोड़े जाने के लिए उल्टी गिनती सोमवार सुबह चार बजे ही शुरू हो गई थी। मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों में मौसम को लेकर थोड़ी चिंता थी, लेकिन सब ठीक-ठाक रहा। आसमान में कुछ बादल जरूर थे, लेकिन बारिश नहीं हो रही थी और बिजली भी नहीं चमक रही थी। इससे चंद्रयान के प्रक्षेपण में कोई दिक्कत नहीं आयी। इसके सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत दुनिया का छठा देश बन गया है, जिसने चांद के लिए अपना अभियान भेजा है। इस महान क्षण के मौके पर वैज्ञानिकों का हजूम 'इसरो' के मुखिया जी माधवन नायर 'इसरो' के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के साथ मौजूद थे। इन लोगों ने रुकी हुई सांसों के साथ चंद्रयान प्रथम की यात्रा पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लगातार नजर रखी और एक महान इतिहास के गवाह बने।
* चंद्रयान के ध्रुवीय प्रक्षेपण अंतरिक्ष वाहन पीएसएलवी सी-११ ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से रवाना होने के १९ मिनट बाद ट्रांसफर कक्षा में प्रवेश किया। ११ पेलोड के साथ रवाना हुआ चंद्रयान पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिन्दु (२५० किलोमीटर) और सबसे दूरस्थ बिन्दु (२३, ००० किलोमीटर) के बीच स्थित ट्रांसफर कक्षा में पहुंच गया। दीर्घवृताकार कक्ष से २५५ किमी पेरिजी और २२ हजार ८६० किमी एपोजी तक उठाया गया था।
* गुरुवार २३ अक्तूबर को दूसरे चरण में अंतरिक्ष यान के लिक्विड इंजिन को १८ मिनट तक दागकर इसे ३७ हजार ९०० किमी एपोजी और ३०५ किमी पेरिजी तक उठाया गया।
* शनिवार २५ अक्तूबर को तीसरे चरण के बाद कक्ष की ऊंचाई बढ़ाकर एपोजी को दोगुना अर्थात ७४ हजार किमी तक सफलतापूर्वक अगली कक्षा में पहुंचा दिया गया। इसके साथ ही यह ३६ हजार किमी से दूर की कक्षा में जाने वाला देश का पहला अंतरिक्ष यान बन गया।
* सोमवार २७ अक्तूबर को चंद्रयान-१ ने सुबह सात बज कर आठ मिनट पर कक्षा बदलनी शुरू की। इसके लिए यान के ४४० न्यूटन द्रव इंजन को साढ़े नौ मिनट के लिए चलाया गया। इससे चंद्रयान-१ अब पृथ्वी से काफी ऊंचाई वाले दीर्घवृत्ताकार कक्ष में पहुंच गया है। इस कक्ष की पृथ्वी से अधिकतम दूरी १६४,६०० किमी और निकटतम दूरी ३४८ किमी है।
* बुधवार २९ अक्तूबर को चौथी बार इसे उसकी कक्षा में ऊपर उठाने का काम किया। इस तरह यह अपनी मंजिल के थोड़ा और करीब पहुंच गया है। सुबह सात बजकर ३८ मिनट पर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इस दौरान ४४० न्यूटन के तरल इंजन को लगभग तीन मिनट तक दागा गया। इसके साथ ही चंद्रयान-१ और अधिक अंडाकार कक्षा में प्रवेश कर गया। जहां इसका एपोजी [धरती से दूरस्थ बिंदु] दो लाख ६७ हजार किमी और पेरिजी [धरती से नजदीकी बिंदु] ४६५ किमी है। इस प्रकार चंद्रयान-1 अपनी कक्षा में चंद्रमा की आधी दूरी तय कर चुका है। इस कक्षा में यान को धरती का एक चक्कर लगाने में करीब छह दिन लगते हैं। इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमान नेटवर्क और अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र, ब्यालालु स्थित भारतीय दूरस्थ अंतरिक्ष नेटवर्क एंटीना की मदद से चंद्रयान-1 पर लगातार नजर रखी जा रही है। इसरो ने कहा कि यान की सभी व्यवस्थाएं सामान्य ढंग से काम कर रही हैं। धरती से तीन लाख ८४ हजार किमी दूर चंद्रमा के पास भेजने के लिए अंतरिक्ष यान को अभी एक बार और उसकी कक्षा में ऊपर उठाया जाएगा।
* शनिवार 8 नवम्बर को चन्द्रयान भारतीय समय अनुसार करीब 5 बजे सबसे मुश्किल दौर से गुजरते हुए चन्दमाँ की कक्षा में स्थापित हो गया। अब यह चांद की कक्षा में न्यूनतम 504 और अधिकतम 7502 किमी दूर की अंडाकार कक्षा में परिक्रमा करगा। अगले तीने-चार दिनों में यह दूरी कम होती रहेगी।
* आज शुक्रवार, १४ नवम्बर को एम्आईपी (मून इम्पेक्ट प्रोब) चंद्रयान से अलग हुआ और सायं ०८.३१ बजे चाँद की सतह पर उतर गया. यह प्रोब तिरंगे के रंग में रंगा गया है. इस सफलता से भारत विश्व के ऐसा तीसरा देश बन गया है जिनका राष्ट्रीय ध्वज चाँद की सतह पर मौजूद है. प्रोब से सिग्नलस आने प्रारम्भ हो गए हैं.
आज के दिन भारत के लिए एक एतिहासिक दिन है. सभी भारतीयों को ढेर सारी वधाईयां.
(विकी से साभार)
4 comments:
bahut achha vivaran bahut badhai
धन्यवाद इस विडियो के लिये
बधाइयाँ !!!
भारत अपार क्षमता का धनी है। यदि इसकी पूरी क्षमता का १०% भी जग जाये तो हम अपना गौरवशाली अतीत पुन: प्राप्त कर सकते हैं; भारत पुन: विश्वगुरू और पूज्य बन सकता है।
अच्छा विवरण है
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