दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Tuesday, 11 November 2008

वंदे मातरम्

वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!॥


I bow to thee, Mother,
richly-watered, richly-fruited, 
cool with the winds of the south,
dark with the crops of the harvests, the Mother! 
Her nights rejoicing in the glory of the
moonlight, 
her lands clothed beautifully with her trees in flowering bloom,
sweet of laughter, sweet 
of speech, 
the Mother, giver of boons, 
giver of bliss.

6 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

माननीय गुप्ता साहब, पूरे वंदे मातरम को अपनी किसी अन्य पोस्ट में दीजियेगा.पढकर अच्छा लगा.

दिवाकर प्रताप सिंह said...

'वन्‍दे-मातरम्' मातृभूमि की वन्‍दना है और माँ की वन्‍दना किसी भी धर्म में अपराध नहीं है। हमारे पुरखे जब आजादी के लिये संघर्ष कर रहे थे तो 'वन्‍दे-मातरम्' ही उनका नारा था। हमें गर्व है कई मुसलमानों ने इसे गाया और मेरे देश को आजादी दिलायी। यह गीत हमें हमेशा इन शहीदों की याद दिलाता है। मुझे गर्व है 'वन्‍दे-मातरम्' पर और हम इसका सहर्ष गायन करेंगे।
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपी गरीयसी"

roushan said...
This comment has been removed by the author.
roushan said...

फ़िर से गुस्ताखी हो रही है पर आपने राष्ट्रीय गीत सही ढंग से नही लिखा है ऐसा हमारा सोचना है.
हमारा ख्याल है कि अगर हिज्जे की कमियां सुधारी जातीं तो बेहतर होता
हमारी सोच है कि इस गीत को इस तरह से लिखा जाय तो ज्यादा सही लगेगा

वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!॥
अगर हमारे लेखन में कमी नजर आए तो जरूर बताइयेगा

Unknown said...

रौशन जी, धन्यवाद. मैंने रोमन लिपि में लिखे राष्ट्रगीत को गूगल ट्रांस्लितिरेशन पर देवनागिरी लिपि में लिखा, इस कारण हिज्जों में गलती हो गईं. आप ने जैसा लिखा बैसा सुधार किया है. कृपया देखें और बताएं कि इस बार सही है या नहीं.

भूल सुधार के लिए एक बार फ़िर धन्यवाद.

seema gupta said...

" bhut sunder accha lga pdh kr"

Regards