हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Sunday, 30 November 2008
डूब मरो अगर कुछ शर्म बाकी है
Saturday, 29 November 2008
क्या कभी मनमोहन कह पायेंगे - मैं हूँ न!!!
Wednesday, 26 November 2008
हम कितने स्वतंत्र हैं?
Tuesday, 25 November 2008
सौ दिन में आतंकवाद समाप्त
Monday, 24 November 2008
भारत का नेतृत्व कैसा हो?
Friday, 21 November 2008
आडवाणी जी ने सही मुद्दा उठाया है, कांग्रेस को हिन्दुओं से माफ़ी मांगनी चाहिए
Thursday, 20 November 2008
अल्पसंख्यक : बहुसंख्यक
Wednesday, 19 November 2008
मुफ्त हज यात्रा - क्या इस्लाम इस की इजाजत देता है?
Tuesday, 18 November 2008
निशाचर कौन हैं?
Monday, 17 November 2008
लो जी मधुशाला भी इस्लाम के ख़िलाफ़ है
Sunday, 16 November 2008
अडवाणी जी, ऐसी वेबसाईट का क्या फायदा?
Saturday, 15 November 2008
समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति कैसे हों?
Friday, 14 November 2008
चंद्रयान मिशन सफल, वधाईयां
Wednesday, 12 November 2008
गुरु नानक देव जी के जन्म दिन पर लख-लख वधाईयां
Tuesday, 11 November 2008
वंदे मातरम्
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!॥
Monday, 10 November 2008
चेतावनी दी ईश्वर ने
Sunday, 9 November 2008
यूपी में कांग्रेस की सरकार
Wednesday, 5 November 2008
मुस्लिम कौम के लिए पहली जिम्मेदारी किस की है?
Tuesday, 4 November 2008
आजादी
Sunday, 2 November 2008
धर्मयुद्ध और जिहाद
Saturday, 1 November 2008
आओ एक दूसरे का दर्द महसूस करें
युसूफ किरमानी ने अपने ब्लाग 'हम सब की बात' पर एक पोस्ट डाली है जिसका शीर्षक है 'मुशीरुल हसन की आवाज सुनो'. मैंने अपनी राय दर्ज करा दी, फ़िर सोचा कि अगर मैं इस मुद्दे पर पोस्ट लिखता तो उसे क्या शीर्षक देता? सोचा और फ़िर यह पोस्ट यहाँ इस ब्लाग पर दाल दी. शीर्षक रखा - 'आओ एक दूसरे का दर्द महसूस करें'.
मुशीरुल हसन साहब ने जामिया में एक समारोह आयोजित किया और उस में शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह को डाक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. इस समारोह में उन्होंने एक भाषण दिया जिसके बारे में किरमानी साहब ने लिखा कि मुशीरुल हसन की आवाज सुनो. हसन साहब ने हमें आमंत्रित ही नहीं किया, वरना हम भी उन की आवाज सुन लेते और जामिया का दर्द महसूस कर लेते. इतने बड़े विश्वविद्यालय के इतने बड़े वाइस चांसलर की आवाज सुनने का मौका निकल गया. खैर कोई बात नहीं, उन्होंने जो कहा वह अखबार में तो पढ़ ही लिया. अखबार ने जो और जैसा लिखा है उस से उनकी बातें काफ़ी हद तक सही लगीं, पर यह नहीं समझ में आया कि वह अपने दर्द के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं और यह सब किस से कह रहे हैं, सरकार से, पुलिस से, राजनीतिक दलों से, जामिया के और देश के दुखी मुसलमान समुदाय से या हिंदू समुदाय से, और उन से क्या चाहते हैं?
उन्होंने शबाना आजमी को डाक्टर बना दिया. अगर शबाना को यह सम्मान उनके समाज और देश को दिए गए किसी महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है तो बहुत अच्छी बात है. लेकिन अगर उन्हें इस लिए सम्मानित किया गया कि कुछ दिन पहले उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मुसलमानों के ख़िलाफ़ बताया था, तो मेरे जैसे आम समझ वाले हिन्दुस्तानी को दुःख होगा. अखबार ने लिखा है कि हसन साहब ने हुसैन को भी यह सम्मान दिया था, जिन्होनें हिंदू देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाये थे. अगर यह सही है तो इस बात से हमें दुःख हुआ.
अब एक मुद्दा यह बना कि हम तो जामिया के दर्द को महसूस कर रहे हैं, पर क्या हसन साहब और जामिया हमारे दर्द को महसूस करेंगे जो उन्होंने शबाना और हुसैन को इस तरह सम्मानित करके हमें दिया है? दूसरी बात, हिन्दुओं को भी दुःख होता है जब उनके परिवार, रिश्तेदारी और मित्रों में कोई बम धमाकों में जान गंवाता है. क्या हसन साहब और जामिया हिन्दुओं के इस दर्द को महसूस करते हैं?
दर्द तो सब को होता है. हम दूसरों से कहें कि हमारा दर्द महसूस करो पर हम ख़ुद दूसरों का दर्द महसूस न करें तो बात कैसे बनेगी? आइये सब एक दूसरे का दर्द महसूस करें और उसे दूर करने के उपाय खोजें और उन पर अमल करें.