पति - अजी सुनती हो, कल दिल्ली के वकीलों ने हड़ताल की थी. किसी कोर्ट में काम नहीं हो सका.
पत्नी - शर्म आनी चाहिए इन वकीलों को. कितने बेचारे लोगों की तारीखें होगी मुकदमों की. भारत में न्याय ग़लत लोगों के हाथ में बंदी हो गया है. पर बात क्या थी?
पति - दिल्ली के दो वरिष्ट वकीलों ने एक मुकदमें के मुख्य गवाह को पैसे देकर तोड़ने की कोशिश की. एक वचाव पक्ष का वकील था और दूसरा सरकारी वकील, और दोनों माने-जाने वकील. अदालत ने इसे अदालत की अवमानना माना और इन वकीलों को सजा दे दी. इस पर वकीलों ने हड़ताल कर दी.
पत्नी - ग़लत किया अदालत ने. जैसे लोक सभा में एमपी रिश्वत ले सकता है बैसे ही वकील को भी अदालत में कुछ भी ग़लत कर सकने की आजादी होनी चाहिए. आख़िर सरकार ने जजों द्बारा भ्रष्टाचार पर कानून बनाने से तो मना कर ही दिया है. सरकारी बाबू के रिटायर होने के बाद भी उस पर भ्रष्टाचार का मुकदमा न चल पाये इस का बंदोबस्त भी सरकार ने कर दिया है. बेचारे वकीलों ने क्या जुर्म किया है कि वह गवाहों को भी नहीं तोड़ सकते.
पति - बात तो तुम ठीक कहती हो. भारत में प्रजा का तंत्र है इस लिए सजा भी प्रजा को ही मिलनी चाहिए. सरकारी नेता और बाबू, जज, वकील, पुलिस, नेताओं के घर वाले, यह सब तो प्रजातंत्र के अतिथि हैं और अतिथि देवता होता है.
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
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5 comments:
बिलकुल सच, बहुत ही सटीक ,धन्यवाद
"बात तो तुम ठीक कहती हो. भारत में प्रजा का तंत्र है इस लिए सजा भी प्रजा को ही मिलनी चाहिए. सरकारी नेता और बाबू, जज, वकील, पुलिस, नेताओं के घर वाले, यह सब तो प्रजातंत्र के अतिथि हैं और अतिथि देवता होता है."
आज की व्यवस्था पर बहुत सटीक व्यंग्य है। इस सार्थक लेखन के लिए बधाई।
aji bahut hi satik vyang hai.
prantu mera manna hai ki isme aam janta ki nahi sanvidhaan ki galati hai jisme netaon ki khreedfrokt ke khilaf aaj tak koi adhiniyam nahi bnaya hai.
or ek baat neta or vakeel to hamesha se hi bikau rahe hai. aaj kisi bade case me ye karte hue fase to media ne uchala nahi to kya pehle vakeel nahi bikte
wah-sir ji kya likha hai
"भारत में प्रजा का तंत्र है इस लिए सजा भी प्रजा को ही मिलनी चाहिए."
बहुत पते की बात कही है आपने.
कन्हैया लाल की जय! जन्माष्टमी की बधाई!
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