दैनिक प्रार्थना

हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो


दैनिक प्रार्थना

है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.

Saturday, 2 August 2008

कुछ लोग ऐसे ही होते हैं .....

उनका नाम है संजीव चतुर्वेदी. वह भारतीय वन सेवा में अधिकारी हैं. आज कल उनके ऊपर बिभागीय अनुशाशन कार्यवाही चल रही है. इस कार्यवाही के चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. उन्होंने दो अपराध किए. पहला, वन में वृक्ष काट कर नहर बनाई जा रही थी, उन्होंने इस की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को की. उनका तबादला कर दिया गया. पर वह नहीं माने. नई पोस्टिंग में उन्होंने पाया की एक व्यक्ति की निजी जमीन पर हो रही हर्ब्स की खेती का खर्चा सरकारी खजाने से जा रहा है. उन्होंने खर्चा स्वीकृत करने से इनकार कर दिया और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट कर दी. इस दूसरे अपराध पर उन्हें मुअत्तल कर दिया गया और उन पर अनुशासन जांच बिठा दी गई. कुछ लोग होते ही ऐसे हैं. समझते ही नहीं.क्या करें इनका?

अभी कल ही मैंने प्रेमचंद के 'नमक के दारोगा' की बात की थी. आज यह नए दारोगा निकल आए. पर क्या प्रेमचंद के दारोगा की तरह इस दारोगा को भी कोई उनकी ईमानदारी का ईनाम देने सामने आएगा?

7 comments:

ghughutibasuti said...

ईनाम तो उन्हें मिल चुका अब और क्या मिलेगा? कुछ लोग तो ऐसे कामों के लिए जान से हाथ धो बैठते हैं।
घुघूती बासूती

Advocate Rashmi saurana said...

ha aapne bilkul thik kaha. kuch log aese hi hote hai. par unhe saja to mil hi jati hai.

Vivekk singh Chauhan said...

jo log bura karte hai unke sath bhi bura hi hota hai.

Anil Kumar said...

कभी कहा जाता था, "All roads lead to Rome" याने के सभी रास्ते रोम की तरफ जाते हैं। आजकल जो देखने को मिल रहा है, ऐसे हालात में कहना होगा "All roads lead to court" याने के सभी रास्ते कचहरी-कोर्ट की तरफ जाते हैं। बिना कानूनी कार्यवाही के इंसाफ मिलना लगभग नामुमकिन है।

राज भाटिय़ा said...

"कुछ लोग ऐसे ही होते हैं ....." सुरेश जी धन्यवाद......

कामोद Kaamod said...

जैसी करनी वैसी भरनी.

Unknown said...

संजीव जैसे लोगों से यह दुनिया चल रही है. उनकी कहानी पढ़कर एक हिम्मत सी बंधती है. एक रौशनी नजर आती है, बेईमानी, झूट, अन्याय, रिश्वतखोरी, जुल्म के काले अंधेरों में.