डा महीप सिंह एक माने-जाने साहित्यकार हें। उनका कहना है कि 'यदि अन्य देसी राज्यों की भांति जम्मू-कश्मीर के विलय का कार्य सरदार पटेल को करने दिया गया होता तो इतिहास ही कुछ और होता'। यह विचार उन्होंने अपने एक लेख "साठ साल से सुलगती आग" में प्रकट किए हें जो कुछ दिन पूर्व एक अखबार में छपा था। आप भी इस लेख को पढ़िये:
देश के कर्णधार कहे जाने वाले, जिनका परिवार आज देश का राजा बना हुआ है, ऐसे पंडित नेहरू यह आग लगा कर देश को उसमे जलने के लिए छोड़ गए हें। कितने निर्दोष नागरिक और सुरक्षाकर्मी बलि चढ़ चुके हें इस भूल पर, और न जाने कितने बलि चढ़ेंगे।
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
नेहरू की गलती से भी अधिक पीढ़ादायक यह है कि इस गलती को सुधारने के बजाय उस गलती को अब भी दोहराया जा रहा है।
आप ठीक कहते हैं अनुनाद सिंह जी.
पर जो लोग उस गलती को दोहरा रहे हैं वह नेहरू परिवार के ही हैं या उस परिवार की पार्टी के हैं.
Post a Comment