
हर व्यक्ति कवि है. अक्सर यह कवि कानों में फुसफुसाता है. कुछ सुनते हैं, कुछ नहीं सुनते. जो सुनते हैं वह शब्द दे देते हैं इस फुसफुसाहट को. एक और पुष्प खिल जाता है काव्य कुञ्ज में.
दैनिक प्रार्थना
हमारे मन में सबके प्रति प्रेम, सहानुभूति, मित्रता और शांतिपूर्वक साथ रहने का भाव हो
दैनिक प्रार्थना
है आद्य्शक्ति, जगत्जन्नी, कल्याणकारिणी, विघ्न्हारिणी माँ,
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
सब पर कृपा करो, दया करो, कुशल-मंगल करो,
सब सुखी हों, स्वस्थ हों, सानंद हों, दीर्घायु हों,
सबके मन में संतोष हो, परोपकार की भावना हो,
आपके चरणों में सब की भक्ति बनी रहे,
सबके मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव हो,
सहानुभूति की भावना हो, आदर की भावना हो,
मिल-जुल कर शान्ति पूर्वक एक साथ रहने की भावना हो,
माँ सबके मन में निवास करो.
Sunday, 24 August 2008
कैसे बना चीन नंबर एक ओलंपिक्स में?
दुनिया के लगभग सभी देशों ने ओलंपिक्स में भाग लिया। मेजबान चीन नंबर एक पर रहा। ऐसा कैसे सम्भव हुआ? इस के लिए नीचे दी ख़बर को पढ़िये। क्या भारत में ऐसा कुछ होना सम्भव है?
१०८ साल में एक भारतीय ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता और वह भी अपने बलबूते पर। उसे ईनाम बाँट कर सारे प्रदेश सरकारें इस जीत को ख़ुद में बाँट रही हें. ख़ुद कुछ नहीं करेंगे पर अगर कोई अपने बलबूते पर जीत गया तो उसे हार पहनाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा देंगे। ऐसी शर्मनाक स्थिति में भारत, एक राष्ट्र के रूप में, कभी कुछ नहीं कर पायेगा खेलों में।

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